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Hathras के बहाने थी यूपी में जातीय दंगे कराने की साजिश, लखनऊ में दर्ज हुई FIR

CM Yogi Angry

नई दिल्ली। हाथरस मामले में गैर-जिम्मेदार अधिकारियों पर योगी सरकार कार्रवाई तो कर चुकी है लेकिन इस मामले में अब जातीय दंगा कराने की साजिश का पता चला है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे कराने की साजिश थी लेकिन योगी सरकार की सतर्कता के चलते विरोध अपनी चाल में कामयाब नहीं हो सके। साफ है कि हाथरस कांड के बहाने योगी सरकार को बदनाम करने के लिए बड़ी साजिश रची गई है। इसको लेकर जांच एजेंसियों को खतरनाक साजिश रचने के अहम सुराग मिले हैं। अब इस मामले में प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने, अफवाहों और फर्जी सूचनाओं के जरिए अशांति पैदा करने का साजिश रचने को लेकर लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस साजिश में शामिल लोगों की सघन जांच को लेकर एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि पीएफआइ समेत कुछ अन्य संगठन प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रचते हैं। इस मामले में उनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है।

बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि, हाथरस मामले में पूरी तरह से अफवाह फैलाने की साजिश रची गई थी। इसके तहत पीड़ित लड़की की जीभ काटे जाने, अंग-भंग करने और गैंगरेप से जुड़ी तमाम अफवाहें उड़ा कर हुई नफरत की आग भड़काने की कोशिश की गई थी। हाथरस मामले को लेकर जो खुफिया जांच रिपोर्ट योगी सरकार को भेजी गई उसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। राज्य में जाति आधारित दंगे कराने मंशा के चलते साजिश रची तो गई लेकिन योगी सरकार की सतर्कता से यूपी में जातीय विद्धेष फैलाने की साजिश नाकाम हुई। खुफिया रिपोर्ट की मानें तो प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश भी रची गई थी। इसके लिए बकायदा 100 करोड़ की फंडिंग की बात भी सामने आई है।

अफवाहों को फैलाने के लिए झूठी तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया। नफरत पैदा करने के लिए चंडीगढ़ की घटना की मृतका की तस्वीरें हाथरस की बेटी की बताकर वायरल किया गया। गौतरलब है कि इसमें एक बड़े न्यूज चैनल के स्कीनशॉट को एडिट करके नफरत भरे पोस्टर तैयार किए गए, जिसपर मुकदमा दर्ज किया गया। दंगे भड़काने की साजिश के लिए तमाम आपत्तिजनक और फोटोशॉप्ड तस्वीरों का भी जमकर इस्तेमाल हुआ। यूपी साइबर सेल ने इसको लेकर कई मामले दर्ज किए। धरपकड़ के लिए टीमें लगीं हुई हैं।

इसके लिए कई सारे वैरिफाइड सोशल मीडिया अकाउंट का भी इस्तेमाल किया गया। जांच एजेसियां वैरिफाइड अकाउंट का ब्यौरा तैयार करने में जुटीं हैं।

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