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India China Face off: भारत-चीन सीमा पर तनाव घटाने के लिए 7वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर वार्ता आज

Indian China LAC

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के मुद्दे पर भारत और चीनी सेना के प्रतिनिधि (Representative of India and Chinese Army) सोमवार को बातचीत करेंगे। दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर पर ये सातवें दौर की बातचीत (7th Round Military Commander Level Meeting) होगी। भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह, जो कोर कमांडर के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त कर रहे हैं, और उनके उत्तराधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन बातचीत का नेतृत्व करेंगे।

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी बातचीत में हिस्सा लेंगे। सूत्रों के मुताबिक, पिछले महीने तनाव में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन कमी की भी कोई खबर नहीं है। विवादित भारत-चीन सीमा पर महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों और दरे पर तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है, जिससे इस क्षेत्र में दोनों ओर से जमा हजारों सैनिकों के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है।

30 अगस्त को, भारत ने रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी, और टेबलटॉप जैसी महत्वपूर्ण पर्वत ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था। पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर स्थित ये क्षेत्र अभी तक मानव रहित थे। भारत ने ब्लैकटॉप के पास भी कुछ तैनाती की है। चीन के उकसाने वाले सैन्य कदम उठाने की कोशिश के बाद भारत ने ये तैनाती की है। अब, इन 13 चोटियों पर भारत के नियंत्रण से चीनी सेना पर नजर रखना आसान हो गया है।

पिछली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान, चीन ने जोर देकर कहा था कि भारत इन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाइयों को खाली करे। चीन ने भारत से कहा था कि वह पूर्वी लद्दाख में सैन्य ताकत कम करने पर चर्चा नहीं करेगा, जहां दोनों पक्षों की तैनाती ने पिछले चार महीनों में युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है। वरिष्ठ भारतीय और चीनी कमांडरों ने 21 सितंबर को सैन्य कमांडर-स्तर की बैठक के छठे दौर का आयोजन किया था।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस बात पर अडिग है कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट की स्थिति को भारत पहले सुलझाए। यहां भारतीय सैनिक अच्छी स्थिति में हैं। लेकिन भारत चाहता है कि लद्दाख में तनाव कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार हो।

बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बरकरार है। कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली और गतिरोध जारी है।

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