नई दिल्ली। इन दिनों देश में यूसीसी को लेकर बहस जारी है। कोई विरोध कर रहा है, तो कोई समर्थन। वहीं, अब इसे लेकर सियासत भी शुरू हो चुकी है, जिस पर बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माकूल जवाब देते हुए कहा था कि अगर किसी परिवार में दो कानून हो तो क्या वह परिवार चल पाएगा? किसी भी परिवार को चलाने के लिए एक जैसा कानून अनिवार्य है, इसलिए हमारी सरकार ने यूसीसी की जरूरत को महसूस किया, लेकिन अब कुछ इसका विरोध करके अपनी राजनीतिक जरूरतों की पूर्ति कर रहे हैं। बता दें कि यूसीसी का राजनीतिक गलियारों में लगातार विरोध किया जा रहा है। बीते दिनों मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने इस संदर्भ में उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात की थी। वहीं, अब इस पर गुलाम नबी आजाद का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार को नसीहत दी है कि उनके लिए बेहतर रहेगा कि वह यूसीसी को लागू ना ही करें। आइए, अब आगे कि रिपोर्ट में आपको बताते हैं कि उन्होंने यूसीसी पर क्या कुछ कहा है?
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व नेता व डेमोक्रेटिव प्रोगेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी यूसीसी का विरोध किया है। इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वह यूसीसी को लागू ना ही करें, तो बेहतर रहेगा, क्योंकि अगर मोदी सरकार यूसीसी को लागू करती है, तो इससे वो ना महज मुस्लिम को बल्कि, देश के अन्य धर्मों मसलन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाइयों को भी नाराज करेगी और इतने व्यापक स्तर पर लोगों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए सियासी दृष्टिकोण से सही नहीं रहेगा।
इसके साथ ही गुलाम ने आगे कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू करना जम्मू-कश्मीर से धारा 370 निरस्त करने जैसा नहीं है, बल्कि यह उससे कहीं अधिक जटिल काम है, जिसके लिए आगे की राह आसान नहीं होगा। इसके अलावा पूर्व कांग्रेस नेता ने जम्मू-कश्मीर में नियत विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि हम चाहते हैं, तो वहां वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना हो सकें और सूबे के लोगों को लोकतंत्र के हर्ष की अनुभूति को महसूस कर सकें। बता दें कि गत वर्ष जब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपनी खुद की पार्टी का गठन किया था, तो बताया गया कि वो जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे। ध्यान दें कि बीते दिनों कुछ दिनों से देश में यूसीसी को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार है।