नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में ही मोदी सरकार और विपक्ष के बीच आज सुबह 11 बजे पहली सियासी जंग आज होने जा रही है। ये सियासी जंग लोकसभा अध्यक्ष पद का चुनाव है। एनडीए की तरफ से बीजेपी के ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिए प्रत्याशी हैं। वहीं, विपक्ष ने कांग्रेस सांसद के. सुरेश को ओम बिरला से टक्कर लेने के लिए मैदान में उतारा है। 48 साल बाद लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने जा रहा है। इससे पहले सर्वसम्मति से ही लोकसभा अध्यक्ष तय होते रहे हैं।
अगर संख्याबल की बात करें, तो विपक्ष पर एनडीए हावी है। एनडीए के पास 292 सांसद हैं। इनमें बीजेपी के 241, टीडीपी के 16, जेडीयू के 12, शिवसेना के 7 और अन्य छोटे दलों के सांसद शामिल हैं। वहीं, विपक्ष के साथ 233 सांसद हैं। इनमें कांग्रेस के 99 सांसद शामिल हैं। हालांकि, आज विपक्ष का आंकड़ा इससे कम रहने वाला है। इसकी वजह ये है कि 5 सांसद टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा, दीपक अधिकारी और नूरुल इस्लाम, कांग्रेस के शशि थरूर और समाजवादी पार्टी के अफजाल अंसारी ने मंगलवार तक शपथ नहीं ली थी। वहीं, जेल में होने के कारण निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद भी शपथ नहीं ले सके हैं। इस तरह विपक्ष के पाले में 226 सांसद ही अभी हैं। टीएमसी अलग नाराज है कि उससे सलाह लिए बगैर कांग्रेस ने विपक्ष का उम्मीदवार उतार दिया। अगर टीएमसी इस मुद्दे पर वोट न करे, तो के. सुरेश के पक्ष में और वोट कम हो जाएंगे।
ओम बिरला और के. सुरेश के बीच लोकसभा अध्यक्ष की चुनावी जंग होने से ये भी साफ हो गया है कि बीजेपी किसी सूरत में विपक्ष को लोकसभा के उपाध्यक्ष का पद भी नहीं देना चाहती। पहले ही ये खबरें आ चुकी हैं कि बीजेपी अपने सहयोगी टीडीपी को लोकसभा उपाध्यक्ष का पद देगी। हालांकि, इस बारे में अब तक बीजेपी और टीडीपी या एनडीए के किसी और दल ने कुछ नहीं कहा था, लेकिन जिस तरह उपाध्यक्ष पद की विपक्ष की मांग को एनडीए ने ठुकरा दिया है, उससे साफ है कि लोकसभा में दूसरा अहम पद भी बीजेपी के सहयोगी दल के ही पास जाएगा।