नई दिल्ली। मध्य प्रदेश को शिवपुरी ज़िले से शर्मसार करने वाली फिर एक तस्वीर सामने आयी है। प्रवासी मज़दूरों के साथ पहले राजस्थान सरकार ने संगदिली दिखाई। मध्य प्रदेश में प्रवेश किया तो शिवराज सरकार के दावे हवाई साबित होते नज़र आए। लॉकडाउन के बाद कोटा में कोचिंग संस्थानों में आईआईटी और नीट की तैयार कर रहे प्रदेश के डेढ़ हजार छात्रों के फंसे होने के बाद उन्हें लाने के लिए एक माह पहले प्रदेश सरकार ने न केवल राजस्थान बसें भेजीं थी बल्कि इन छात्रों की शिवपुरी की सीमा कोटानाका पर मेहमानों जैसा स्वागत किया गया था। लेकिन सोमवार को जब राजस्थान से ही कोटानाका पर मजदूर लौटे तो उनके साथ परायों जैसा व्यवहार किया गया।
कोटा से लौटे छात्रों के लिए स्क्रीनिंग से लेकर आराम करने के लिए टैंट और भोजन की व्यवस्था कराई गई थी, वहीं मजदूरों के लिए न तो स्क्रीनिंग की व्यवस्था की की गई और न ही भोजन का इंतजाम। इतना ही नहीं 45 डिग्री तापमान में धूप से बचने के लिए मजदूरों को शौचालयों में छिपना पड़ा।
इनमें से ही कुछ महिलाओं ने भोजन की व्यवस्था न होने पर वहीं खाना बनाना शुरू कर दिया। मजबूरी के मारे मजदूरों को भीषण गर्मी में 8 से 12 घंटे इंतजार के बाद बसों से उनके जिले के लिए रवाना किया गया।
मध्यप्रदेश के मजदूरों को राजस्थान सरकार बसों में बिठाकर कोटानाका बॉर्डर पर छोड़कर जा रही है। रविवार की देर शाम मप्र के अलग अलग जिलों के 250 से ज्यादा मजदूरों को बसें बॉर्डर पर छोड़कर राजस्थान लौट गईं। मजदूरों ने जैसे-तैसे रात बिताई। सोमवार की दोपहर तेज धूप के कारण हालत बिगड़ी तो इन मजदूर परिवारों ने शौचालय की शरण ली। मजदूरों का कहना था कि बच्चों को धूप में बचाने के लिए शौचालय में रुकने के अलावा कुछ नजर नहीं आया। यहां शासन-प्रशासन की तरफ से व्यवस्थाएं देखने कोई नहीं आया। यहां तक कि सोमवार को यहां स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मजदूरों की स्क्रीनिंग करने के लिए कोई मौजूद नहीं था। लंबे इंतजार के बाद बसें आईं और संबंधित जिलों में छोड़ने के लिए लेकर चली गईं।
कोटानाका बॉर्डर पर छोड़े गए मजदूर घर जाने के इंतजार में भूख मिटाने के लिए खुले में टिक्कर सेंककर पेट भर रहे हैं। महिलाएं कचरा समेटकर लाईं और आग जलाकर टिक्कर सेंकती दिखीं।