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निजामुद्दीन मरकज वाले मौलाना साद के ‘अमीर’ बनने के पीछे की ये है पूरी कहानी, हो रहे हैं नए-नए खुलासे

नई दिल्ली। हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात की सभा होने के बाद भारत में कोरोनावायरस मामलों में लगातार तेजी देखने को मिली थी। अब तक तबलीगी जमात से जुड़े हुए कई सारे नए मामले सामने आ रहे हैं।

इसके साथ ही तबलीगी जमात मामले में मुख्य आरोपी मौलाना साद से जुड़े हुए भी कई खुलासे क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आ रहे हैं। क्राइम ब्रांच को अभी तक अपनी जांच में पता चला है कि मरकज को साल 2005 के बाद हवाला के जरिए सऊदी अरब और बाकी देशों से मरकज में आने वाले जमातियों के खाने पीने के नाम पर नकद पैसा आता था। इसी बात को पुख्ता करने के लिए क्राइम ब्रांच ने मरकज को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी कर मरकज के बैंक अकाउंट और बैंक स्टेटमेंट मुहैय्या कराने के साथ साथ वहां पर काम करने वाले कर्मचारी, मरकज के खर्चो समेत काफी जानकारी मांगी है.। क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो मरकज में ज्यादातर फंडिंग हवाला के जरिए हो रही थी।

इसके साथ ही बुधवार को भी क्राइम ब्रांच की टीम एक बार फिर से मरकज के अंदर दाखिल हुई और एक बार फिरसे पूरे मरकज की तलाशी ली गई। यहां पहुंचने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम करीब तीन घंटे तक उसके अंदर मौजूद रही। टीम द्वारा आसपास के लोगों से बात की गई। इसके अलावा क्योंकि आज एमसीडी को मरकज का कूड़ा और जमातियों का बेकार समान अपने साथ ले जाकर जलाना था।

मौलाना साद अब लगातार प्रशासनिक चंगुल में फंसता जा रहा है। इस निज़ामुद्दीन के तबलीगी जमात के मरकज के मुखिया को अमीर बोला जाता है। दरअसल मोहम्मद साद तब्लीगी के संस्थापक इलियास कंधावली का पोता है जिसकी पैदाइश 1965 में यूपी के शामली में हुई थी। नवंबर 2015 से तबलीगी जमात के सबसे ऊंचे ओहदे का अमीर भी वही है। तबलीगी जमात की सबसे बड़ी सलाहकार समिति को शूरा कहते हैं। साद तबलीगी का अमीर बनने से पहले 1995 से 2015 तक शूरा का सदस्य रह चुका है।

मौलाना साद अपनी जमात में बेहद रसूखदार हैसियत रखता है। मौलाना साद के दादा मौलाना इलियास कंधावली पहले अमीर थे। बाद में इलियास के बेटे मौलाना मोहम्मद युसूफ कंधावली और मौलाना इनाम उल हसन अमीर बने। 1995 से पहले जुबैर के पिता अमीर थे लेकिन 1995 में उनकी मौत के बाद उनके बेटे जुबैर को अमीर बनाया जाना तय था।

लेकिन मौलाना साद ने मेवात से अपने लोगों को बुलाकर जुबैर और उसके समर्थकों के साथ हिंसा को अंजाम दिया और ऐलान कर दिया कि मरकज में अब कोई अमीर नहीं बनेगा, बल्कि मरकज को चलाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। जिसमें जुबैर और मौलाना साद के अलावा कई और भी शामिल रहेंगे। लेकिन 2014 में जुबैर की मौत के बाद मौलाना साद ने खुद को मरकज का अमीर घोषित कर दिया, जिसका विरोध करने वाले लोगों की दिन 4 जून 2016 को बुरी तरह पिटाई की जाती है। इसके बाद मौलाना साद के हाथ में मरकज की पूरी बागडोर आ जाती है। मौलाना साद का नाम जमाती दुनिया में बड़ी इज्जत के साथ लिया जाता है।

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