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Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद का मसला फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानिए मुस्लिम पक्ष ने अब किस मसले पर दी है अर्जी

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नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मसला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा है। इस बार मसला व्यासजी के तहखाने को लेकर है। मसाजिद कमेटी यानी मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा पर रोक लगाने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी है। व्यासजी के तहखाने में 30 साल बाद पूजा फिर शुरू हुई थी। इसके खिलाफ मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। काफी सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यासजी के तहखाने में पूजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट के इसी फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट में अब 1 अप्रैल को सुनवाई होगी।

ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में 31 जनवरी 2024 से रोज पूजा हो रही है।

मुस्लिम पक्ष का दावा है कि व्यासजी के तहखाने में कभी पूजा नहीं हुई। वहीं, हिंदू पक्ष ने वाराणसी के जिला जज की अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सबूत पेश किए कि 1993 तक व्यासजी के तहखाने में रोज पूजा होती थी। व्यासजी के तहखाने में रामायण का पाठ भी होता था। हिंदू पक्ष का कहना है कि 1993 में अचानक यूपी की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने ज्ञानवापी के चारों तरफ बाड़ लगवा दी। उस बाड़ के कारण ही व्यासजी के परिवार का तहखाने में जाना बंद हो गया और पूजा रुक गई। हिंदू पक्ष के दिए सबूत के आधार पर वाराणसी के जिला जज ने 17 जनवरी को व्यासजी तहखाने को प्रशासन के हवाले कर दिया था। फिर 31 जनवरी को वहां पूजा कराने का फैसला सुनाया था। उसी तारीख से पूजा चल रही है।

व्यासजी के तहखाने के मसले के अलावा ज्ञानवापी परिसर पर हिंदू पक्ष ने दावा ठोका हुआ है। जिसकी सुनवाई वाराणसी के जिला जज के कोर्ट में चल रही है। ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई से सर्वे भी हो चुका है। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मस्जिद से पहले ज्ञानवापी में विशाल मंदिर था। इस सर्वे की रिपोर्ट से भी मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है। फिलहाल अदालतों में ज्ञानवापी मस्जिद का मसला लंबा खिंचने के आसार दिख रहे हैं।

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