जयपुर। राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक ने उस समय दिलचस्प मोड़ ले लिया जब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र के दर पर पहुंचे लेकिन मिश्र ने उनके अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया है। मीडिया को संबोधित करते हुए, गहलोत ने कहा कि मिश्र एक संवैधानिक पद रखते हैं और इसलिए उन्हें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर निर्णय लेना चाहिए।
उन्होंने कहा, “उन्हें किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए। अन्यथा, अगर जनता राजभवन में घेराव करने आती है, तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे।”
गहलोत ने आरोप लगाया, “हमने गुरुवार को राज्यपाल को एक पत्र भेजा था जिसमें उनसे विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया गया था। हमें उम्मीद थी कि वे रात में आदेश जारी करेंगे, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। वह शीर्ष (केंद्रीय) नेताओं के दबाव में यह आदेश नहीं दे रहे हैं।”
राज्यपाल महोदय हमारे संवैधानिक मुखिया हैं, हमने जाकर उनसे रिक्वेस्ट की है। कहने में संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के वो इस फैसले को नहीं रोक सकते थे क्योंकि राज्यपाल महोदय Cabinet के फैसले में बाउंड होते हैं कि हमें किसी भी रूप में उसे मानना है और Assembly session बुलाना है। pic.twitter.com/8YJroYfad8
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 24, 2020
गहलोत ने यह भी दावा किया कि राजस्थान के लोग बेचैन हैं क्योंकि सरकार को गिरते देखने की परंपरा कभी नहीं रही। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि राज्यपाल ने अभी तक विधानसभा का सत्र बुलाने का फैसला नहीं किया है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायकों के बागी तेवर के बाद गहलोत बहुमत दिखाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।