News Room Post

राजस्थानः कांग्रेस खुद लाएगी विश्वास प्रस्ताव, अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक में कहा

Ashok Gehlot

नई दिल्ली। कांग्रेस (congress) पार्टी का राजस्थान (Rajasthan) में चल रहा राजनीतिक संकट अब खत्म होता नजर आ रहा है। इस सब के बीच पार्टी में दोनों गुटों अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे में सुलह होती नजर आ रही है। पार्टी ने आज विधायक दल की बैठक की जिसमें दोनों गुटों के विधायक मौजूद थे। इससे ठीक पहले 34 दिन के गतिरोध के बाद सचिन पायलट सीएम अशोक गहलोत से मिलने पहुंचे थे।

शुक्रवार से राजस्थान में विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान किया है कि वो कल ही सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। ऐसे में अशोक गहलोत सरकार के सामने बहुमत साबित करने की चुनौती बढ़ गई है। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बैठक हुई, जिसमें ये फैसला लिया गया। इस बैठक में विधायकों से अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत भी करा लिए गए हैं।

वहीं अब इस पूरे मामले पर अशोक गहलोत ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में ऐलान किया कि विधानसभा में कांग्रेस खुद विश्वास प्रस्ताव पेश करेगी। इससे ठीक पहले मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई जिसमें पायलट और गहलोत गुट के सभी विधायक एकसाथ नजर आए।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “हम विश्वास मत खुद लाएंगे विधानसभा में।” विधायकों की नाराजगी पर गहलोत ने कहा, “किसी भी एमएलए की शिकायत है उसे दूर करेंगे। अभी चाहें अभी मिल लें। बाद में चाहे बाद में मिल लें।”

वहीं इस पूरे मामले पर भाजपा का कहना है कि गहलोत सरकार के पास संख्या नहीं है। विधानसभा में भाजपा के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि अशोक गहलोत की सरकार हार चुकी है। विधायक दल की बैठक में 71 विधायक शामिल थे। भाजपा की सहयोगी पार्टी आरएलपी के तीन विधायक भी इसमें मौजूद थे। गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस अपने घर में टांका लगाकर कपड़े को जोड़ना चाह रही है, लेकिन कपड़ा फट चुका है। ये सरकार जल्द ही गिरने वाली है।

इस मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि यह सरकार अपने विरोधाभास से गिरेगी, भाजपा पर यह झूठा आरोप लगा रहे हैं। लेकिन इनके घर के झगड़े से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है।

राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, इनमें से 107 का आंकड़ा कांग्रेस के पास है। साथ ही कई निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। जबकि भाजपा के पास साथी पार्टियां मिलाकर 76 का आंकड़ा है।

Exit mobile version