नई दिल्ली। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पर अभी संकट के बादल कम नहीं हुए हैं। सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। वहीं सीएम अशोक गहलोत ने सोमवार को मीडिया के सामने विधायकों की परेड करवाई, जिसमें 100 से अधिक विधायकों के होने की बात कही। फिलहाल आपको बता दें कि कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि मंगलवार को इस विवाद का निपटारा हो जाए।
राजस्थान चल रहे इस सियासी खींचतान को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने कोशिशें तेज कर दी हैं। कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट से कहा है कि आगे कोई भी बात बढ़ाने से पहले वे जयपुर में विधायक दल की बैठक में शामिल हों। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान इस मामले को बहुत ज्यादा नहीं खींचना चाहता और कोशिश है कि मंगलवार तक इसका समाधान निकल जाए।
आलाकमान को लगता है कि सचिन पायलट का ऐसे वक्त में अड़ जाना सही फैसला नहीं है जबकि उन्हें महज 15 विधायकों का ही समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस के एक सीनियर नेता की मानें तो सचिन पायलट अभी अपने समर्थकों को एकजुट रख पाने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि विधायक पहले इस्तीफा दें, जबकि विधायक इसके लिए तैयार नहीं हैं।
इसके अलावा एक सीनियर नेता ने कहा कि सचिन पायलट अभी भी सीएम पद की मांग से हटने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी को लगता है कि सचिन की मांग अनुचित है और वरिष्ठ नेताओं द्वारा मामले को सुलझाने के प्रयासों के बावजूद गतिरोध जारी है। अपनी मांग को लेकर सचिन पायलट पहले ही कह चुके हैं कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा ये विधायक ही तय करेंगे। इसको लेकर सियासी संकट सुलझाने में लगे एक नेता ने कहा कि सचिन पायलट की मांगों में विरोधाभास की साफ झलक दिखती है। मामला आगे बढ़ने से पार्टी की छवि पर असर पड़ता दिख रहा है, लिहाजा आलाकमान इस मुद्दे को जितनी जल्दी हो सके निपटाने की कोशिश में है।
एक ओर पायलट को मनाने की कोशिशें जारी हैं तो दूसरी ओर पायलट खेमे का दावा है कि उन्हें 30 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। आज की बैठक में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक हिस्सा लेंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस कायम है। पायलट साफ कर चुके हैं कि कांग्रेस के किसी नेता से उनकी बात नहीं चल रही और न ही वे किसी के संपर्क में है। उन्होंने इसे आत्मसम्मान की लड़ाई बताया है।