नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र अब समाप्त हो चुका है। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जा चुकी है। शीतकालीन सत्र को लेकर जैसा कि पहले से हंगामेदार होने का अनुमान था वैसा ही हुआ। कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों द्वारा दोनों सदनों की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न किया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें विपक्ष ने सदन को सुचारु रूप से चलाने पर सहमति दी, इसके बावजूद ज्यादातर समय हंगामा ही होता रहा। जिसके चलते सदन में इस बार एक भी महत्वपूर्ण बिल पास नहीं हो सका। आपको शीतकालीन सत्र का पूरा लेखा-जोखा बताते हैं।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Delhi: Union Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju holds a press conference after the winter session for 2024 ended today, says, "The 2024 Winter Session has concluded today, with both Houses of Parliament having successfully concluded their proceedings. This session saw a… <a href=”https://t.co/reYwbBXipj”>pic.twitter.com/reYwbBXipj</a></p>— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1870027630512353720?ref_src=twsrc%5Etfw”>December 20, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार शीतकालीन सत्र का कार्यकाल 26 दिनों का रहा। इस दौरान लोकसभा की 20 बैठकें हुईं जबकि राज्यसभा में 19 बैठकें हुईं। लोकसभा में 5 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 4 लोकसभा द्वारा पारित किए गए। तीन विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित किए गए। भारतीय वायुयान विधेयक 2024 दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। लोकसभा में लगभग 62 घंटे की कार्यवाही चली। वहीं बात अगर राज्यसभा की करें तो यहां और भी कम 43 घंटे 39 मिनट कामकाज हुआ। इस तरह से देखा जाए तो संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह से विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया।
संसद में कांग्रेस अपने अड़ियल रुख पर कायम रही और सदन को चलाने की सरकार की मंशा पर राहुल गांधी और उनके सांसद बार-बार पानी फेरते रहे। यहां तक कि संविधान पर चर्चा के दौरान भी उच्च सदन और निचले सदन दोनों में जबर्दस्त हंगामा देखने को मिला। वन नेशन-वन इलेक्शन संबंधी बिल को पेश करने के लिए भी लोकसभा में वोटिंग हुई। इसके बाद इस बिल को जेपीसी के पास चर्चा के लिए भेज दिया गया। संभवत: अब अगले सत्र में इस संशोधन बिल को फिर से सदन के समक्ष लाया जाए।