लखनऊ। 11 फरवरी को यूपी के विधायक और उनके परिवार के लोगों का अयोध्या जाकर राम मंदिर दर्शन का कार्यक्रम है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली है। अखिलेश यादव के चाचा और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी के विधायक 11 फरवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे। शिवपाल सिंह ने कहा कि सपा के विधायक बाद में अयोध्या जाकर दर्शन करेंगे। इसके लिए अलग से व्यवस्था की मांग उन्होंने नेता विरोधी दल से की। शिवपाल सिंह ने ये भी कहा कि आरएलडी नेता जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने संबंधी चर्चा गलत है। शिवपाल के मुताबिक बीजेपी गलत खबर फैला रही है। उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी गठबंधन में हैं और रहेंगे।
लखनऊ- सपा महासचिव शिवपाल यादव का बयान, जयंत कहीं नहीं जाएंगे, बीजेपी अफवाह फैला रही है
➡RLD-BJP गठबंधन पर बोले शिवपाल यादव
➡जयंत कहीं नहीं जाएंगे, गठबंधन के साथ हैं- शिवपाल
➡BJP के लोग भ्रम फैला रहे हैं – शिवपाल यादव
➡11 फरवरी को हम लोग अयोध्या नहीं जाएंगे- शिवपाल
➡हम लोग… pic.twitter.com/M7J1mgFgGb— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) February 7, 2024
बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी न्योता भेजा गया था। पहले उन्होंने कहा कि न्योता भेजने का पता नहीं है और न्योता भेजने वाले को वो नहीं जानते हैं। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा का न्योता भेजने वाले वीएचपी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक्स हैंडल पर स्पीड पोस्ट की रसीद सार्वजनिक की थी। जिसके बाद अखिलेश यादव ने कहा कि न्योता मिला है। अखिलेश ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को एक चिट्ठी भी लिखी थी। जिसमें उन्होंने धन्यवाद और बधाई देते हुए कहा था कि परिवार सहित बाद में राम मंदिर आकर वो दर्शन करेंगे। अब शिवपाल के ताजा बयान से इस मामले में सियासत फिर गरमाने के आसार हैं।
बीजेपी और हिंदूवादी संगठन लगातार समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को रामद्रोही करार देते रहे हैं। अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव जब यूपी के सीएम थे, तब 1990 में अयोध्या मे कारसेवकों पर फायरिंग भी हुई थी। उस फायरिंग में तमाम कारसेवक मारे गए थे। इसी के बाद हिंदूवादी संगठन मुलायम सिंह को मुल्ला मुलायम तक कहने लगे थे। अब मुलायम सिंह नहीं हैं, लेकिन अखिलेश यादव को राम मंदिर न जाने पर निशाना बनना पड़ता है। शिवपाल यादव का ताजा बयान एक बार फिर अखिलेश और समाजवादी पार्टी को विपक्ष के निशाने पर ला सकता है।