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Gyanvapi Case: क्या है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट और 7 रूल 11? जिसके खारिज होते ही हिंदू पक्षों में आई खुशी की लहर, तो मुस्लिम पक्ष को लगा झटका

नई दिल्ली। वाराणसी कोर्ट ने सोमवार (12 सितंबर) को ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्षों की याचिका को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेष ने 7 रूल नंबर 11 के तहत हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य बताया है। वहीं मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया गया है। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने उपरी अदालत में जाने की बात कही है। जिस पर हिंदू पक्ष ने भी कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष की ओर से उपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया जाता है, तो हिंदू पक्ष भी अदालत का रुख करेंगे। अब मामले की अगली सुनवाई आगामी 22 सितंबर को मुकर्रर की गई है।

फिलहाल, अदालत के समक्ष पहली चुनौती यह थी कि पहले इस बात पर फैसला किया जा सकें कि यह याचिका सुनवाई के योग्य है की नहीं? चूंकि मुस्लिम पक्षों की ओर से प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर कोर्ट से मांग की गई थी कि हिंदू पक्षों की याचिका को खारिज कर दिया जाए, चूंकि हिंदू पक्षों की याचिका प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का घोर उल्लंघन है। मुस्लिम पक्षों का कहना था कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के चश्मे से देखे तो हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई के योग्य नहीं रह जाती है, लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इन दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया है। अब इन तमाम परिघटनाओं को पढ़ने के बाद दो सवाल लोगों के जेहन में उठते हैं कि प्लेस ऑफ वर्शिफ एक्ट और 7 रूल नंबर 11 क्या हैं, जिनके आधार पर कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका दे दिया है। आइए, आगे विस्तार से जानते हैं।

7 रूल नंबर 11

दरअसल, इस नियम को समझने से पूर्व आपको ये समझना होगा कि मुस्लिम पक्ष का हिंदू पक्षों की याचिका के संदर्भ में यह कहना था कि यह सुनवाई के योग्य नहीं है, लिहाजा इसे खारिज कर दिया जाए, जिसके मद्देनजर कोर्ट के समक्ष पहली चुनौती यह थी कि यह फैसला लिया जाए कि ये याचिका सुनवाई के योग्य है की नहीं। इस बीच कोर्ट ने 7 रूल नंबर 11 के तहत हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। कोर्ट अब हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो चुका है। उधर, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट को भी निष्प्रभावी बताया है।

प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट

इस पूरे ज्ञानवापी मामले में कोर्ट की सुनवाई के दौरान प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, मुस्लिम पक्ष ने शुरुआत में ही प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था। आखिर ये प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट क्या है ? दरअसल, यह एक्ट नरसिम्हा राव सरकरार द्वारा साल 1991 में लाया गया था। इसके तहत 1947 के बाद जो भी धार्मिक स्थल हैं, उन्हें वैसे ही रहने दिया जाए। उसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाए, लेकिन अगर इसके बावजूद भी ऐसा किया जाता है, तो यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा और ऐसा करने पर तीन साल का कारावास और जुर्माना या दोनों हो सकता है। बता दें कि यह एक्ट राम मंदिर आंदोलन को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन  पीवी नरसिम्हा राव सरकार द्वारा लाया गया था। वहीं, ज्ञानवापी मामले की सुनवाई के दौरान उक्त एक्ट की खूब चर्चा हो रही है।

क्या है मुस्लिम पक्ष का तर्क

उधर, मुस्लिम पक्ष अब ज्ञानवापी मामले में भी प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दे रहे हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ज्ञानवापी मस्जिद की संरचना के साथ अब किसी भी प्रकार की छेड़खानी नहीं की जा सकती है, लेकिन आज कोर्ट ने मुस्लिम पक्षों की ओर से पेश की इन तमाम दलीलों को सिरे् से खारिज कर दिया गया।

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