News Room Post

Turmoil: नीतीश के मन में क्या चल रहा है? पीएम के लगातार निमंत्रण पर भी नहीं पहुंचे दिल्ली तो बिहार की सियासत में मच गई है हलचल

modi and nitish

पटना। जेडीयू से आरसीपी सिंह की विदाई के बाद बिहार की सियासत गर्माई हुई है। एक बार फिर जेडीयू और बीजेपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं लग रहा है। कयास ‘खेला होबे’ के लग रहे हैं। रविवार रात आई कुछ खबरों ने इस कयास को बल भी दिया है। पहली खबर तो ये आई कि बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की है। बिहार विधानसभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं। जबकि, जेडीयू विधायकों की संख्या 45 है। अभी बीजेपी के 77 विधायकों के साथ मिलकर नीतीश कुमार सत्ता संभाल रहे हैं। संख्याबल के लिहाज से उनको आरजेडी का साथ भी जरूरी होगा।

सोनिया गांधी से बातचीत की उड़ती-उड़ती खबर आने के बाद एक और खबर ये आई कि नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई है। जेडीयू सांसदों को भी आज पटना पहुंचने के लिए कहा गया है। उधर, आरजेडी ने अपने 79 विधायकों की बैठक भी कल बुलाई है। बिहार में मचे सियासी घमासान के बारे में जेडीयू और बीजेपी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि हमने पूरी ईमानदारी से बीजेपी के साथ गठबंधन किया। अब बीजेपी की जिम्मेदारी है कि वो गठबंधन को संक्रमित न होने दे। उन्होंने कहा कि बीजेपी से मिल रहे संकेत ठीक नहीं हैं। राजीव रंजन ने कहा कि आरसीपी सिंह ने अवैध तरीके से संपत्ति बनाई, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करने वाली बीजेपी चुप रही। उन्होंने कहा कि सियासत में कल क्या होगा, ये किसी को पता नहीं है। वहीं, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि जेडीयू में क्या चल रहा है, ये वही बता सकती है।

बता दें कि बीजेपी और जेडीयू में खटास के कयास तभी से लग रहे थे, जब आरसीपी सिंह को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया था। पिछले एक महीने के घटनाक्रम पर नजर डालें, तो केंद्र सरकार के कई कार्यक्रमों से नीतीश कुमार ने दूरी बनाए रखी। 17 जुलाई को वो गृहमंत्री अमित शाह की बैठक में नहीं आए। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज में भी नहीं पहुंचे। नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथग्रहण में भी नीतीश नहीं आए। कल ही नीति आयोग की बैठक से भी वो लापता रहे। बता दें कि नीतीश पहले भी बीजेपी से अलग होकर आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के साथ सरकार चला चुके हैं।

Exit mobile version