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Asaduddin Owaisi: ज्ञानवापी और मथुरा की मस्जिद हिंदुओं को सौंपेंगे मुस्लिम?, असदुद्दीन ओवैसी बोले- कोर्ट में हम…

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नई दिल्ली। लंबी अदालती लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में राम मंदिर बन गया और भगवान रामलला की वहां प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। अब कोर्ट में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के मसले पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में जंग चल रही है। राम मंदिर के कोषाध्यक्ष और संत गोविंद देव गिरी महाराज ने मुस्लिम पक्ष से आग्रह किया है कि वे इन दोनों धार्मिक स्थलों को हिंदुओं को सौंप दें। क्या मुस्लिम पक्ष ऐसा करने पर राजी हो जाएगा? इस सवाल का जवाब एआईएमआईएम के सांसद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने दिया है।

इंडिया टुडे से बातचीत में असदुद्दीन ओवैसी ने इससे साफ इनकार कर दिया कि मुस्लिम पक्ष स्वेच्छा से ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद की जगह हिंदू पक्ष को सौंप देगा। उन्होंने कहा कि हम कोई भी मस्जिद नहीं देंगे। ओवैसी ने कहा कि वो साफतौर पर कह रहे हैं कि ऐसा नहीं होगा। ओवैसी ने अदालतों में लड़ाई लड़ने की बात कही। साथ ही एआईएमआईएम सांसद ने कहा कि मुस्लिम पक्ष अपने दस्तावेज कोर्ट में रखेगा। असदुद्दीन ओवैसी ने 6 दिसंबर 1992 की घटना का जिक्र किया और कहा कि अगर कोई वैसा करना चाहता है, तो हम देखेंगे कि क्या होता है। उन्होंने कहा कि एक बार धोखा खा चुके हैं, दोबारा नहीं खाएंगे। ओवैसी इससे पहले भी लगातार बाबरी मस्जिद का मसला उठाते रहे हैं और लगातार बयान दे रहे हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को भी मुस्लिमों से छीनने की कोशिश की जा रही है।

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (बाएं) और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बाबरी के बारे में कहा गया था कि मुस्लिम वहां नमाज नहीं पढ़ते। ज्ञानवापी में मुस्लिम लगातार नमाज पढ़ रहे हैं। उन्होंने ये दावा भी किया कि 1993 तक ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा नहीं होती थी। ओवैसी का ये बयान एएसआई के सर्वे पर आया है। जिसमें एएसआई ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद की जगह पहले विशाल मंदिर था। एएसआई ने यहां से मूर्तियां भी हासिल की हैं। वहीं, एक आरटीआई के जवाब में एएसआई ने कहा है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर में मंदिर ढहाकर बनाया गया था।

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