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अपनी ही पार्टी के सांसदों को जेबकतरा बोल बैठे अधीर रंजन चौधरी…

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नई दिल्ली। लोकसभा से कांग्रेस के सात सांसदों के निलंबन का मामला दिन पे दिन तूल पकड़ता जा रहा है। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को अपनी पार्टी के इन सांसदों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए एक ऐसा बयान दे दिया जिसकी अब आलोचना की जा रही है।

हैरानी की बात तो ये है उन्होंने अपने सांसदों के काम की तुलना जेबकतरे से कर दी। दरअसल अधीर रंजन ने कहा कि हम आसन का सम्मान करते हैं। हमारे सात सांसदों को निलंबित किया गया। सदन में हम लोग मांग करते आए हैं कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा हो, लेकिन एक साथ सात सांसदों को किस आधार पर निलंबित किया गया, इसकी जानकारी हमें नहीं है। ये छोटी बात नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जेबकतरे को भी फांसी की सजा नहीं मिलती है।

चौधरी ने यह भी कहा कि कांग्रेस के सदस्य आसन यानी लोकसभा अध्‍यक्ष को ‘पोप ऑफ द वेटिकन’ की तरह सम्मान देते हैं। हमारी पार्टी के सांसदों ने कभी भी आसन का अनादर नहीं किया है।  वहीं इसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मैं साफ करना चाहता हूं कि सरकार विपक्ष को बाहर रखकर कार्यवाही जारी रखना नहीं चाहती है। जो कल हुआ वो भारत के 70 साल के इतिहास में कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि निलंबन की तुलना जेब काटने से नहीं की जा सकती। ये तुलना करना ठीक नहीं है।

इसके साथ ही प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों के निलंबन को उचित ठहराया और कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी सदस्यों को आसन का अनादर करने वाली बात से रोकते थे। जोशी ने कांग्रेस को यूपीए सरकार का कार्यकाल भी याद दिलाया। भाजपा नेता ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में भाजपा के 45 सदस्यों को सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। जोशी ने कहा कि साल 2007 से 2010 के बीच कांग्रेस की अगुवाई वाली ने हंगामे के बीच 18 विधेयक पारित कराए थे। 

प्रह्लाद जोशी ने कहा कि जब कोरोना वायरस पर चर्चा के लिए किसी नेता के खिलाफ गलत टिप्पणी की तो उसे तुरंत कार्यवाही से निकाला गया। आप लोग भी कई बार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ अनाप-शनाप बोल चुके हैं, लेकिन ऐसे सदस्यों के खिलाफ कुछ नहीं किया गया।

संसदीय मंत्री ने कांग्रेस सांसदों के खिलाफ कार्यवाही को उचित ठहराते हुए कहा, ‘374 (1) और 374 (2) में यह स्पष्ट है, जब मीरा कुमार जी स्पीकर थीं उन्होंने 44 लोगों को बाहर किया था। फिर भी मैं कहना चाहता हूं कि जो स्पीकर निर्णय करेंगे वह हमें मंजूर है, लेकिन सदन में बदतमीजी नहीं होना चाहिए, मैं यही निवदेन करता हूं।

 

 

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