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PFI पर कसा शिकंजा: दिल्ली दंगा, CAA से लेकर हिजाब के नाम पर दंगा, चरमपंथी संगठन के गुनाहों का ये है पूरा हिसाब

Crackdown on PFI

नई दिल्ली। कभी युवाओं को कट्टरता का पाठ पढ़ाने तो कभी मजहब के नाम पर अल्पसंख्यकों को बरगलाने तो कभी इस्लाम के नाम पर जहर की दरिया बहाने के आरोपों में घिरे पीएफआई के खिलाफ आज मुख्तलिफ सूबों में एनआईए का रौद्र रूप देखने को मिला। वहीं एनआईए की रौद्रता से बिफरे पीएफआई कार्यकर्ताओं ने ‘गो बैक एनआईए’ के नारे भी लगाए, लेकिन ये नारे एनआईए पदाधिकारियों के मनोबल को तोड़ नहीं पाए। एनआईए ने एक के बाद एक सूबों में पीएफआई के ठिकानों पर रेड मारकर इनकी कमर तोड़ डाली। इतना ही नहीं, मुख्तलिफ सूबों में कुर्सी पर विराजमान इनके अध्यक्षों की अब हालत खराब हो चुकी है। दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश में पीएफआई के अध्य़क्षों की कमर तोड़ने के लिए अब जांच एजेंसी एक्शन मोड में आ चुकी है। बता दें कि अमित शाह की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात के बाद यह कार्रवाई की गई है। आइए, अब आपको उन सभी आरोपों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिसके बिनाह पर पीएफआई के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।

बेशक, पीएफआई अपने आपको बेगुनाह साबित करने की कितनी भी कोशिशें क्यों ना कर ले, लेकिन उसके ऊपर लगे आरोपों की झड़ी उसके बेगुनाहों की दलीलों की बखिया उधेड़ती हुई नजर आ रही है, जहां एक तरफ पीएफआई दावा करता है कि वो मुस्लिमों के हित में काम करता है, तो वहीं दूसरी तरफ उसके ऊपर आरोप लगे हैं कि वो मुस्लिम युवाओं को बरगला करके उन्हें आतंक के राह पर चलने के लिए गुमराह करता है, जहां एक तरफ पीएफआई दावे करता है कि वो समाजिक कार्यों में अपना उल्लेखनीय योगदान देता है, तो वहीं दूसरी तरफ उसके ऊपर आरोप हैं कि वे छोटे से विवाद को हिंसा का रूप देने में पारंगत है। इतना ही नहीं, पीएफआई आईएसआई से भी जुड़े हुए हैं, जिसमें उसके ऊपर कई युवाओं को आईएसआई में शामिल कराने के भी आरोप लग चुके हैं। आइए, अब आगे हम आपको उन मसलों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिसे लेकर उन पर कई आरोप लग चुके हैं।

नागरिकता संशोधन कानून

साल 2020 में नागरिकता संशोधन कानून का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया था। दरअसल, उन्हें डर था कि इस कानून के लागू होने के बाद उनकी नागरिकता छिन जाएगी। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से लगातार उन्हें आश्वस्त किया जाता रहा है कि इस कानून के लागू होने के बाद उनकी नागरिकता पर कोई आंच नहीं आएगी, लेकिन उन्हें ये बात कभी समझ नहीं आई और उनका विरोध प्रदर्शन बदस्तूर जारी रहा। खैर, विरोध प्रदर्शन तक तो मसला ठीक था, लेकिन फिर जब विरोध प्रदर्शन की आड़ में हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया जाने लगा तो स्थिति विकराल हो गई। मामले की जांच हुई तो पीएफआई का कनेक्शन सामने आया। लेकिन, पीएफआई की हिम्मत देखिए कि उसने जांच एजेंसियों की जांच रिपोर्ट को निर्मूल बताते हुए खुद को निर्दोष बताया।

हिजाब विवाद

सीएए के बाद हिजाब विवाद में भी पीएफाई का कनेक्शन सामने आया। कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद देश के कई सूबों में पहुंच गया । देखते ही देखते विवाद ने कब हिंसा की शक्ल अख्तियार कर ली। किसी को भी इसकी खबर नहीं हुई। हिजाब विवाद के नाम पर हुए दंगों में पीएफआई का कनेक्शन फिर सामने आया , लेकिन साहबजादों की हिमाकत देखिए कि खुद को निर्दोष बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

झारखंड में धर्मांतरण की गतिविधि में संलिप्त

इन सभी मुद्दों के अलावा पीएफआई का नाम झारखंड में धर्मांतरण संबंधित गतिविधियों में भी शामिल रहा था। पीएफआई पर आरोप है कि पीएफआई झारखंड में भोले भाले आदिवासी को अपने चंगुल में फंसा कर उनका धर्मांतरण कराता है। इतना ही नहीं, पीएफआई पर लव जिहाद के भी आरोप लग चुके हैं। पीएफआई के खिलाफ ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी शिकंजा कस चुकी है। इतना ही नहीं, केरल सहित कई अन्य राज्यों में पीएफआई का नाम राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी आ चुका है। लेकिन इन सबके बावजूद भी पीएफआई खुद को निर्दोष साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। आज इसी कड़ी में पीएफआई के खिलाफ एनआईए का एक्शन मोड दिखा है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में पीएफआई के खिलाफ जांच एजेंसियों का क्या रुख देखने को मिलता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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