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Bill On Delhi: दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग वाला बिल आज लोकसभा में लाएगी मोदी सरकार, विपक्षी गठबंधन से हुई है ठनी

amit shah

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग संबंधी अध्यादेश की जगह लेने वाले कानून संबंधी बिल को गृहमंत्री अमित शाह आज लोकसभा में पेश करने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 11 मई को दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि वो अफसरों का ट्रांसफर और पोस्टिंग कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने 19 जून को अध्यादेश जारी कर ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार फिर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को दे दिया था। अब आज लोकसभा में इसी अध्यादेश संबंधी बिल पेश होगा। जहां से इसे पास कराकर राज्यसभा भेजकर वहां से भी मंजूरी दिलाने की केंद्र सरकार की पूरी कोशिश रहेगी।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केंद्र के अध्यादेश को देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बता रहे हैं। केजरीवाल ने इस मसले पर विपक्षी नेताओं को भी अपने साथ किया है। कुछ विपक्षी दलों को छोड़कर नए बने गठबंधन के सभी दल लोकसभा और राज्यसभा में बिल का विरोध करने वाले हैं। वहीं, जगनमोहन रेड्डी के वाईएसआरसीपी ने केंद्र सरकार का पक्ष लेने का फैसला किया है। एक और विपक्षी दल ओडिशा के बीजेडी ने अभी कुछ नहीं कहा है, लेकिन पहले भी तमाम मसलों पर बीजेडी ने मोदी सरकार की राज्यसभा में मदद की है। मोदी सरकार का दावा है कि दिल्ली संबंधी संविधान संशोधन बिल आसानी से संसद से पास हो जाएगा।

मोदी सरकार के अध्यादेश को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने हालांकि अध्यादेश पर कोई स्टे नहीं लगाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले को संविधान पीठ को भेजा है, जो तय करेगा कि केंद्र सरकार को अध्यादेश जारी करने का हक था या नहीं। दिल्ली सरकार और लेफ्टिनेंट गवर्नर के बीच तमाम मसलों पर खींचतान है। इसी में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का भी मसला है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले एलजी के पक्ष में फैसला सुनाया था। वहीं, पहले बनी एक संविधान पीठ कह चुकी है कि दिल्ली के सीएम ही कार्यकारी प्रमुख हैं। लेफ्टिनेंट गवर्नर को उनके मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होगा। इसके बाद अफसरों का मसला गरमाया और फिर जब सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैसला दिया, तो केंद्र ने अध्यादेश लाकर उसे पलट दिया।

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