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Fact Check: ‘जीएसटी को ईडी के दायरे में लाने से व्यापार को लगेगा झटका’, जानिए अरविंद केजरीवाल का ये दावा कितना सही

arvind kejriwal

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार केंद्र की मोदी सरकार के कदमों पर सवाल उठाते हैं। इस बार उन्होंने जीएसटी की जांच को पीएमएलए से जोड़ने को व्यापारी विरोधी कदम बताया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने जीएसटी को मनी लॉन्ड्रिंग कानून से जोड़ा है। यानी जीएसटी की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी कर सकेगा। इसी पर केजरीवाल ने दावा किया है कि व्यापारियों का बड़ा हिस्सा मजबूरी और जानबूझकर जीएसटी नहीं देता। अब जीएसटी के मामलों में व्यापारियों को ईडी गिरफ्तार करेगी। केजरीवाल ने कहा है कि देश के छोटे व्यापारी भी ईडी के जाल में फंसेंगे। उन्होंने आज हो रही जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में सभी से इसके खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया है।

केजरीवाल कह रहे हैं कि ईडी के पास जीएसटी के मामले पहुंचने से व्यापार को बड़ा झटका लगेगा, लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि आखिर मोदी सरकार ने ईडी को जीएसटी जांच करने की जिम्मेदारी क्यों दी है। ईडी पहले से ही जीएसटी के फर्जी रजिस्ट्रेशन मामले की जांच कर रही है। ईडी की जांच में पता चला कि कुछ लोगों ने पैन और आधार नंबर का इस्तेमाल कर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन किया और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए शेल कंपनियां बनाईं। केंद्र और राज्यों की सरकारों ने फिजिकल वेरिफिकेशन के वास्ते 60000 जीएसटी नंबरों को चुना है। इनकी पड़ताल पहले से ही चल रही है।

अरविंद केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि जीएसटी को ईडी की जांच के तहत लाने से कारोबार चौपट हो जाएगा और व्यापारी सिर्फ बचने के रास्ते निकालने में ही उलझ जाएंगे। जबकि, हकीकत ये भी है कि जीएसटी के नाम पर तमाम फर्जीवाड़े कई बार पकड़े जा चुके हैं। ये फर्जीवाड़े कुछ लाख के नहीं, बल्कि करोड़ों में हैं। जिन जीएसटी नंबरों की जांच हुई है, उनमें से अब तक 25 फीसदी फर्जी निकले हैं। कई मामले इनपुट क्रेडिट टैक्स को भी फर्जी तरीके से सरकारी कोष से वापस लेने के भी आए हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष विवेक जौहरी बाकायदा कह चुके हैं कि उनका विभाग फर्जी बिलिंग और फर्जी चालान पर अंकुश लगाने के लिए गंभीर है। कुल मिलाकर आंकड़े बता रहे हैं कि जीएसटी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर टैक्स चोरी करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए ही ईडी को सरकार ने जीएसटी मामलों की जांच का अधिकार दिया है। बाकी रही जीएसटी जमा न करने की बात, तो अरविंद केजरीवाल का ये दावा भी गलत माना जा सकता है। क्योंकि जीएसटी लगातार 1.50 लाख करोड़ से भी ज्यादा मिल रहा है। यानी ज्यादातर व्यापारी जीएसटी दे रहे हैं। जबकि, केजरीवाल का कहना है कि व्यापारियों का बड़ा हिस्सा जीएसटी से बच रहा है।

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