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चीन विवाद पर शरद पवार ने दिखाया कांग्रेस को आईना, कहा- ‘हम 1962 नहीं भूले सकते…’

नई दिल्ली। भारत-चीन विवाद को लेकर पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद से कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर निशाने साध रही है। इस बीच महाराष्ट्र की सरकार में सहयोगी राकांपा(NCP) के प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस को चीन विवाद पर आईना दिखाया है। शरद पवार ने कहा है कि, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

1962 नहीं भूलना चाहिए

कांग्रेस द्वारा लगातार चीन सीमा विवाद पर सवाल उठाए जाने से शरद पवार ने कहा है कि, चीन मुद्दे पर राजनीति करने से पहले 1962 नहीं भूलना चाहिए। पवार ने कहा कि, ‘यह कोई नहीं भूल सकता कि चीन ने 1962 के युद्ध के बाद भारत की 45,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया था।’

गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे

बता दें कि शरद पवार की टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप पर थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की आक्रामकता के चलते भारतीय क्षेत्र को सौंप दिया। उन्होंने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को रक्षा मंत्री की नाकामी बताने में जल्दबाजी नहीं की जा सकती क्योंकि गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा

पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा कि यह पूरा प्रकरण ‘‘संवेदनशील’’ प्रकृति का है। गलवान घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। भारत संचार उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क बना रहा था।

झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे

पवार ने कहा कि, “चीनी सैनिकों ने हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की। यह किसी की नाकामी नहीं है। अगर गश्त करने के दौरान कोई (आपके क्षेत्र में) आता है, तो वे किसी भी समय आ सकते हैं। हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है। वहां गश्त चल रही थी। झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे। अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब वे (चीनी सैनिक) आए और गए। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा आरोप लगाना सही है।”

यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है

राहुल गांधी द्वारा लगाए एक आरोप पर जवाब देते हुए पवार ने कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद चीन ने भारत की करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर की जमीन पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा, “यह जमीन अब भी चीन के पास है। मुझे नहीं मालूम कि क्या उन्होंने (चीन) अब फिर से कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया। लेकिन जब मैं आरोप लगाता हूं तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था। अगर इतनी बड़ी जमीन अधिग्रहीत की जाती है तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और मुझे लगता है कि इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।”

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