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Politics: अब आरक्षण के जरिए सत्ता में आने की फिराक में कांग्रेस, चिंतन शिविर में इन प्रस्तावों पर लगाएगी मुहर

rahul and sonia

उदयपुर। लगातार चुनावों में हार और पार्टी की दुर्गति को देखकर अब कांग्रेस का आलाकमान रिजर्वेशन का मुद्दा उछालने की तैयारी में है। राजस्थान के उदयपुर में तीन दिनों के चिंतन शिविर के दौरान तय हुआ है कि पार्टी अब महिला आरक्षण में कोटे में कोटा और निजी क्षेत्र में आरक्षण के पक्ष में आवाज उठाएगी। इसके अलावा पार्टी ने अगले दो साल तक मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में अलग-अलग मुद्दों पर आंदोलन करने का भी फैसला किया है। कांग्रेस आलाकमान को उम्मीद है कि ऐसे कदम उठाकर ही पार्टी दोबारा आम जनता के दिल में जगह बना सकती है।

कांग्रेस पहले संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण में कोटे में कोटा के खिलाफ थी। अब उसने इसमें ओबीसी और एससी-एसटी के लिए अलग से कोटे को समर्थन देने का फैसला किया है। इस तरह ये कांग्रेस का यू-टर्न है। ओबीसी वर्ग के वोटर देश में सबसे ज्यादा हैं। कांग्रेस आलाकमान अब उन्हें लुभाने का सियासी दांव चल रहा है। बता दें कि ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के ज्यादातर वोटरों को बीजेपी ने अपने पाले में खड़ा कर रखा है। ऐसे में कांग्रेस को लग रहा है कि इन वर्गों को लुभाकर की जाने वाली सेंधमारी पार्टी की किस्मत के दरवाजे फिर खोल सकती है।

इसके अलावा कांग्रेस ने पार्टी संगठन में हर स्तर पर महिला, ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी की तादाद में रखने का प्रस्ताव भी किया है। कांग्रेस की नेता कुमारी सेलजा ने बताया कि सामाजिक न्याय के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता का ये सबूत है। इसके साथ ही पार्टी सूत्रों के कहना है कि कांग्रेस भी कई दलों की देखादेखी अब जातिगत जनगणना का पक्ष लेगी। इसके लिए भी चिंतन शिविर में प्रस्ताव लाया जाएगा। कांग्रेस का ये चिंतन शिविर शुक्रवार से शुरू हुआ था।

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