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What is Sengol: जानिए क्या है ‘सेंगोल’, जिसका जिक्र गृह मंत्री अमित शाह ने किया, बताया इतिहास

New Parliament Building: अमित शाह ने बताया कि इसके साथ ही इस मौके पर पीएम मोदी को सेंगोल भी सौंपा जाएगा। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी।

Amit Shah

नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले बवाल मचा हुआ है। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नए भवन का उद्घाटन करने जा रहे है। लेकिन उससे पहले ही विपक्षी पार्टियों इसको लेकर सियासत कर रही है। कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी आरजेडी, शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) समेत 19 दलों ने नए संसद भवन के समारोह के बाहिष्कार की घोषणा की है। दरअसल विपक्षी दलों की मांग है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों किया जाना चाहिए। इसी बीच आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर अहम जानकारी दी। अमित शाह ने कहा 28 मई 2023 ऐतिहासिक दिन होगा। प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। सभी विपक्षी सांसदों को न्यौता दिया गया है और उन्हें अपनी मौजूद दर्ज करनी चाहिए। गृहमंत्री की ओर से बताया कि नई संसद भवन का उद्घाटन होगा। इस मौके पर पीएम मोदी  60,000 श्रमयोगियों सम्मानित भी करेंगे।

अमित शाह ने बताया कि इसके साथ ही इस मौके पर पीएम मोदी को सेंगोल भी सौंपा जाएगा। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई और ये सेंगोल अंग्रेजों से भारतीयों के साथ सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना था।  इस घटना के ऐतिहासिक महत्व को जानने के बाद आप सभी को आश्चर्य होगा कि इतने सालों के बाद हमारे सामने क्यों नहीं आई। जब इसकी जानकारी पीएम को मिली। इस पर गहराई से विचार करने के बाद पीएम मोदी ने इसकी गहन जांच के आदेश दिए और फिर निर्णय लिया।

अमित शाह ने बताया कि 14 अगस्त 1947 की रात को 10 बजकर 45 मिनट पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विशेष रूप से तमिलनाडु से आए हुए सेंगोल को स्वीकार किया था। उन्होंने अंग्रेजों से भारत को सत्ता प्राप्त करने के प्रतीक के रूप में पूर्ण विधि विधान के साथ स्वीकार किया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त की रात को अपने निवास पर कई नेताओं की उपस्थिति में सेंगोल स्वीकार करके सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया को एक प्रकार से पूरा किया था। जिनमें राजेंद्र प्रसाद भी थे। जो बाद में हमारे देश के राष्ट्रपति भी बने। हम सब जानते है कि 1947 में भारत को आजादी देने का निर्णय दिया गया। तब लॉर्ड माउंट बेटन को एक प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए भारत का वायसराय बनाकर भेजा गया था। जब ये प्रक्रिया करने का समय आया। तब लॉर्ड माउंट बेटन क्योंकि इंग्लैंड से आते थे। इनको हमारी सांस्कृतिक और पारंपरिक व्यवस्थाओं की जानकारी नहीं थी। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रश्न किया। कि ब्रिटिशियों के हाथ में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक के रूप कौन सा विशिष्ट परंपरागत समारोह का आयोजन किया जाना चाहिए। पंडित जवाहर लाल नेहरू कंफ्यूज थे।



उन्होंने थोड़ा समय मांगा। और कहा मैं साथियों से चर्चा करूंगा। इसके बारे में आपको जानकारी दूंगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने चर्चा करने के लिए स्वतंत्र सेनानी राजगोपालाचारी को नियुक्त किया। उन्होंने राजगोपालाचारी के सामने रखा। राजगोपालाचारी ने अनेक पुराने ग्रंथों का अभ्यास कर प्रक्रियाओं की स्टडी कर साम्राज्य के सत्ता हस्तांतरण की एक सटीक इतिहास रेखांकित करके इस सेंगोल की प्रक्रिया को चिन्हित किया और पंडित नेहरू को बताया। हमारी परंपरा में सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया को अधिकृत किया गया है। जिसके बाद ये प्रक्रिया तय हुई। फिर पंडित नेहरू ने पवित्र सेंगोल को तमिलनाडु के अधीनम से स्वीकार करके अंग्रेजों से भारतीयों के हाथ में सत्ता हस्तांतरण को आकार दिया।

जानिए सेंगोल का मतलब क्या है-

आइए बताते है सेंगोल का मतलब क्या है। बता दें कि सेंगोल शब्द संस्कृत के सुंक से लिया गया है। जिसका मतलब शंख से है और ये सोने या फिर चांदी के बने होते है। इसके ऊपर नंदी भी बना होता है। सबसे पहले संगोल का उपयोग मौर्य सम्राज्य में किया था। सेंगोल को राजा के पास पॉवर और अधिकार का प्रतीक के तौर भी माना जाता था।

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