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Sharad Pawar : ‘विपक्ष की एकता हर हाल में.. जेपीसी की मांग का विरोध करने वाले पवार ने फिर पलटा गेम

नई दिल्ली। एक तरफ कांग्रेस पार्टी है जो बीजेपी को अड़ानी के मुद्दे पर घेरने का प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ एनसीपी चीफ शरद पवार के हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी के मुद्दे को लेकर विचार कांग्रेस को परेशान कर रहे हैं। हाल ही में सावरकर के मुद्दे पर भी शरद पवार ने अपने रुख को अपनी सहयोगी कांग्रेस से अलग रखा था। एक तरफ कांग्रेस जहां अडानी मामले पर जेपीसी की मांग उठा रही थी तो वहीं दूसरी तरफ अड़ानी ने इसका विरोध किया था। लेकिन अब विपक्ष की मांग को गलत बताने वाले एनसीपी के मुखिया शरद पवार अब अपने रुख से पलट गए हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि विपक्ष की एकता के लिए यदि यह जरूरी है तो मैं जेपीसी के गठन का विरोध नहीं करूंगा। शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की अडानी पर रिपोर्ट के बाद से ही ग्रुप की कंपनियों में तेज उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। इस रिपोर्ट में कुछ सवाल उठाए गए थे, जिसे लेकर विपक्ष का कहना है कि जांच के लिए जेपीसी का गठन किया जाना बेहद जरूरी है।

आपको बता दें कि हाल ही में एनसीपी चीफ शरद पवार ने एक टीवी चैनल से एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘ यदि हमारे सहयोगी विपक्षी दल जेपीसी की जांच पर अड़ते हैं तो फिर एकता की खातिर मैं उसका विरोध नहीं करने वाला हूं। हां, ये बात अलग है कि बेशक इस पूरे मुद्दे पर मैं उनके विचार सेइत्तेफाक नहीं रखता हूं, परन्तु इस समय जरूरी ये तय करना है कि विपक्ष के तौर पर हम एक नजर आएं, हमारे बयानों में द्विरुपता नजर नहीं हो। यही कारण है कि अगर विपक्ष जेपीसी की मांग पर अड़ता है तो मैं उनका साथ अवश्य दूंगा। मगर एनसीपी के भीतर से हम जेपीसी की जांच को लेकर जिद नहीं करने वाले हैं।’ शरद पवार का ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में जब शुक्रवार को शरद पवार केजेपीसी की मांग को गलत ठहराया तो ये चर्चाएँ होने लगी थी कि क्या महाविकास अघाड़ी की गाड़ी पर ब्रेक लगने वाला है, क्या शरद पवार कांग्रेस के खिलाफ बार बार जाकर एक सीक्रेट वॉर की शुरुआत कर रहे हैं।

लेकिन इस पूरे मुद्दे पर बाद में शरद पवार ने इंटरव्यू के दौरान अपना रुख स्पष्ट करते हुए ये साफ़ तौर पर कहा कि जेपीसी का गठन संसद में राजनीतिक दलों की सदस्य संख्या के आधार पर होता है। भाजपा के 200 से ज्यादा सांसद हैं और 21 सदस्यों वाली जेपीसी में उसके अधिकतम सदस्य बने रहेंगे। विपक्ष के 5 से 6 सांसद ही इसमें मौजूद होंगे। ऐसे में इतनी कम संख्या होने पर विपक्षी सांसद के लिए एक प्रभावशाली भूमिका अदा कर पाना बेहद मुश्किल होगा। लेकिन यदि ये जानने के बाद भी विपक्ष इस बात पर अड़ा है, कि नहीं चाहे जो भी हो जेपीसी की जांच जरूरी है तो फिर मेरे पास विपक्ष के साथ खड़े होने के आलावा कोई विकल्प नहीं है।

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