नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी विपक्षी दलों के साथ ‘I.N.D.I.A गठबंधन’ बनाकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ चुनावी रणभूमि में उतर चुकी है। हालाँकि, सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन सहयोगियों के बीच सीट-बंटवारे के समझौते पर बातचीत करना है। कांग्रेस का लक्ष्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है, और अधिक प्रमुख पदों की आकांक्षा रखते हुए अन्यत्र समझौता करने को तैयार नहीं है।
गठबंधन समिति की रिपोर्ट विभिन्न राज्यों के लिए कांग्रेस की आकांक्षाओं को उजागर करती है:
उत्तर प्रदेश: राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 15 से 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग।
महाराष्ट्र: 48 में से 16 से 20 सीटों पर लक्ष्य।
बिहार: 40 में से 4 से 8 सीटों पर नजर
पश्चिम बंगाल: राज्य की 42 में से 6 से 10 सीटें चाहती है।
क्षेत्रीय पार्टियों से कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी के साथ सहयोग करते हुए, कांग्रेस का लक्ष्य 2019 के नतीजों को देखते हुए चुनौतियों का सामना करते हुए 20 सीटें हासिल करना है।
बिहार: राजद और जद (यू) के साथ विवाद में कांग्रेस को केवल 4 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है, जिससे महागठबंधन के भीतर दुविधा पैदा हो सकती है।
महाराष्ट्र: 2019 में कांग्रेस द्वारा लड़ी गई 23 सीटों की मांग करने वाली शिवसेना के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।
पश्चिम बंगाल: टीएमसी के साथ सीट-बंटवारे को लेकर संघर्ष, क्योंकि टीएमसी 2019 के मतदान प्रतिशत के आधार पर कांग्रेस को केवल 2 सीटों की पेशकश करती है।
अन्य राज्यों में चुनौतियाँ:
पंजाब और दिल्ली: दिल्ली में 3 सीटों पर सहमति संभव, लेकिन पंजाब में कलह, जहां कांग्रेस AAP के खिलाफ प्रमुख स्थिति चाहती है।
पार्टियों की परस्पर विरोधी सीट मांगों के कारण पंजाब सहित कई राज्यों में जटिल सीट-बंटवारे की बातचीत जारी है। ये परस्पर विरोधी आकांक्षाएं कांग्रेस के लिए राज्यों में सीट आवंटन की रणनीति बनाने और उसे अंतिम रूप देने में एक महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करती हैं, जिससे आसन्न लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी परिदृश्य जटिल हो जाता है।