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देखिए कैसे मध्यप्रदेश में विकास की बह रही है बयार, अब ऐसे फैसले लेने लगी है कमलनाथ सरकार!

नई दिल्ली। कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में महिलाओं के लिए अलग से शराब की दुकानें खोलने का फैसला लिया है। कमलनाथ सरकार का प्रयास है कि महिलाएं भी बिना किसी समस्या के शराब खरीद सकें। बताया गया कि शुरुआत में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में एक-एक दुकानें खोली जाएंगी। इन सभी दुकानों पर वाइन और विस्की के वे ब्रैंड्स उपलब्ध होंगे, जो महिलाएं पसंद करती हैं।

ये दुकानें मुंबई, दिल्ली और अन्य मेट्रो सिटी की तर्ज पर खोली जाएंगी। क्वॉलिटी बढ़िया रहे इसलिए सिर्फ विदेशी शराबें ही इन दुकानों पर बेची जाएंगी। इसका मतलब है कि वे ब्रैंड भी यहां बेचे जाएंगे, जो राज्य में रजिस्टर्ड भी नहीं होंगे। इन शराबों पर कोई अतिरिक्त ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी क्योंकि देश में आने से पहले ही उनपर ड्यूटी वसूली जा चुकी होती है। इससे राज्य में महंगी शराब का कारोबार बढ़ेगा।

विदेशी के साथ-साथ देसी ब्रैंड्स को भी बढ़ावा

इन दुकानों पर वे ब्रैंड्स रहेंगे जो अभी मध्य प्रदेश में नहीं मिलते हैं। ये दुकानों मॉल्स और ऐसी जगहों पर खोली जाएंगी, जहां से महिलाएं इन्हें आसानी से खरीद सकें। राजस्व बढ़ाने और स्थानीय ब्रैंड्स को मशहूर करने के लिए सरकार भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में वाइन फेस्टिवल भी आयोजित करेगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि स्थानीय व्यापारी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, ये दुकानें हफ्ते में कितने दिन खुलेंगी और वाइन फेस्टिवल का शेड्यूल अप्रैल में तय होगा। इसके अलावा रतलाम के अंगूरों से बनी शराबों और अन्य देसी ब्रैंड्स को प्रमोट करने के लिए टूरिस्ट प्लेसेज में शराब की 15 नई दुकानें खोली जाएंगी।

शराब के आउटलेट खोलने को लेकर सरकार की सफाई

मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए शराब के नए आउटलेट खोलने की चर्चाओं के बीच सरकार को सफाई देनी पड़ी है। राज्य में पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि, महानगरों की तर्ज पर राज्य में भी शराब की शौकीन महिलाओं के लिए मॉल आदि स्थानों पर अलग से आउटलेट खोल जाएंगे। हालांकि इस मामले ने तूल पकड़ लिया और सरकार को अब सफाई देनी पड़ रही है।


वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि, प्रदेश में महिलाओं के लिए शराब के नए आउटलेट खोलने की अनुमति दिए जाने की कोई योजना नहीं है। राठौर ने कहा कि वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार के पास ऐसी कोई नीति अथवा प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

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