नई दिल्ली। अपनी सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आज सिंघु बॉर्डर पहुंचे। सीएम अरविंद केजरीवाल का किसान प्रेम दूसरी बार एक महीने में सामने आया। इससे पहले केजरीवाल 8 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे। उससे पहले कृषि बिल के पास होते ही सीएम केजरीवाल ने इस कानून को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे दिल्ली में लागू कर दिया था। लेकिन जैसे ही कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन तेज हुए केजरीवाल को बी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का मौका मिल गया। उन्होंने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ी ताकि वह यह बता सकें कि वह किसानों के आंदोलन के साथ खड़े हैं। आज फिर एक बार अरविंद केजरीवाल किसानों के प्रति अपना प्रेम जाहिर करवाने के उद्देश्य से सिंघु बॉर्डर तक पहुंच गए। यहां उन्होंने गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले कीर्तन पाठ में हिस्सा लिया।
यहां जब किसान लगातार यह कहते रहे हैं कि इस आंदोलन में राजनीतिक दलों के लिए कोई जगह नहीं हो तो इस मंच पर अरविंद केजरीवाल का पहुंचना कई सवाल खड़े करता है। इस आंदोलन के शीर्ष नेता हमेशा इस बात को खारिज करते रहे हैं कि इसको किसी तरह का राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है।
लेकिन यहां पहुंचकर किसानों को अरविंद केजरीवाल ने मंच से जो कहा का उसका उद्देश्य एक बार आप भी समझिए। क्जरीवाल ने मंच से कहा कि केंद्र सरकार किसानों को देशद्रोही और आतंकी कह रही है। जबकि अभी तक सरकार के किसी नेता की तरफ से इस तरह के बयान सामने नहीं आए हैं। एक तरफ किसान नेता एक बार फिर सरकार से बातचीत करने को तैयार है तो वहीं केजरीवाल इस बात का भी मंच से जिक्र करते हैं कि मैं तो केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को पहले खारिज करे। लेकिन केजरीवाल ये नहीं बताते कि उन्होंने किसानों के खिलाफ काला कानून बताए जाने वाले इस बिल का नोटिफिकेशन क्यों जारी किया था।
केजरीवाल ने इसी में एक और इमोशनल एंगल जोड़ दिया कि किसानों को राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है, अगर किसान राष्ट्रद्रोही हो गया तो तुम्हारा पेट कौन भरेगा? किसानों की खेती चली गई तो किसान कहां जाएगा? किसानों के पास क्या बचेगा?’ फिर केजरीवाल अपने अन्ना आंदोलन वाले बयान पर आए और कहा कि उस समय हमें बदनाम करते थे, वैसे ही आज किसान को राष्ट्रदोही कह रहे हैं। फिर उन्होंने कहा कि इन तीन कानून से किसान की खेती छीनना चाहते हैं और पूंजीपतियों को देना चाहते हैं। मतलब केजरीवाल ने भी इस कानून की ड्राफ्ट को सही से नहीं पढ़ा है। क्योंकि इस बिल में कहीं भी किसानों की फसल के अलावा उनकी भूमि का जिक्र नहीं किया गया है।
इसके बाद अपने पुराने अंदाज में अरविंद केजरीवाल चुनौती देने पर उतर आए। जिसकी वजह से वह कई बार बिना शर्त कई लोगों से माफी मांग चुके हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपने सबसे बड़े नेता को लेकर आ जाए और हमारे किसान नेता आ जाएं और पब्लिक में चर्चा हो जाए, पता चल जाएगा किसको कितनी जानकारी है। मतलब यही सब तो वह आम आदमी पार्टी को खड़ा करने से पहले और उसके बाद भी करते ही आए हैं। तो आप समझ गए होंगे कि केजरीवाल का यह किसान प्रेम कैसा होगा?