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Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष ने दी है अर्जी

Gyanvapi Masjid: हिंदू पक्ष का दावा रहा है कि साल 1993 से पहले हर रोज व्यासजी के तहखाने में पूजा होती थी। तहखाने में रामचरितमानस का पाठ होने का दावा भी हिंदू पक्ष करता रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि व्यासजी के तहखाने में कभी पूजा हुई ही नहीं।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज ज्ञानवापी मस्जिद के मसले पर अहम सुनवाई होनी है। ज्ञानवापी मस्जिद में व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने की मस्जिद कमेटी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है। मस्जिद कमेटी ने व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ को रुकवाने के लिए इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन उसे राहत नहीं मिली थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को ही ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

हिंदू पक्ष का दावा रहा है कि साल 1993 से पहले हर रोज व्यासजी के तहखाने में पूजा होती थी। तहखाने में रामचरितमानस का पाठ होने का दावा भी हिंदू पक्ष करता रहा है। व्यासजी के तहखाने में फिर से पूजा की मंजूरी के लिए हिंदू पक्ष ने वाराणसी के जिला जज के यहां अर्जी दी थी। इस पर वाराणसी के जिला जज ने सभी सबूत देखते हुए पहले 17 जनवरी 2024 को ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने को जिला प्रशासन के हवाले कर दिया था। फिर जिला जज ने 31 जनवरी 2024 को यहां फिर से पूजा-पाठ की मंजूरी दी थी। 31 जनवरी की रात से ही व्यासजी के तहखाने में पूजा शुरू हो गई थी। जिसे मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में चुनौती दी है।

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि व्यासजी के तहखाने में कभी पूजा हुई ही नहीं। वहीं, हिंदू पक्ष ने अदालतों में साबित किया है कि व्यासजी के तहखाने में पूजा होती रही। यूपी में जब मुलायम सिंह यादव की सरकार थी, उस वक्त ज्ञानवापी मस्जिद की बाड़बंदी की गई थी। इस बाड़बंदी के कारण ही पूजा रुक गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद का जब एएसआई सर्वे हुआ था, उस वक्त व्यासजी के तहखाने में कई मूर्तियां भी मिली थीं। अब सबकी नजर इस पर है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेता है।

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