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सीमा पर भारत के सख्त तेवरों का दिखा असर, चीन ही नहीं पाकिस्तान को लगा ये बड़ा झटका

नई दिल्ली। भारत चीन सीमा विवाद का असर पाकिस्तान पर भी हो रहा है। जहां एक तरफ अपनी चालबाजी के लिए मशहूर चीन की भारत के सामने एक नहीं चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ चीन की बढ़ती परेशानी से पाकिस्तान की भी हालत खराब है। भारत-चीन विवाद का खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है। आपको बता दें कि भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ने का कारण चीन(Chine) के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग (xi jinping) ने अचानक अपना पाकिस्‍तान (Pakistan) दौरा रद्द कर दिया है।

चीन के राष्ट्रपति का दौरा रद्द होने से पाकिस्तान को निराशा हुई है। सिर्फ निराशा ही नहीं बल्कि पाकिस्तान को नुकसान भी होगा। दरअसल पाकिस्तान सरकार को जिनपिंग दौरे से काफी उम्मीदें थीं और इसमें कई महत्वपूर्ण रक्षा और आर्थिक सौदों पर सहमति बनने की उम्मीद जताई जा रही थी। सऊदी सरब से बिगड़े रिश्तों के बीच चीन के राष्ट्रपति का भी आने से इनकार करना इमरान खान सरकार के लिए बड़ा झटका है।

बता दें कि कर्ज में दबे पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद चीन से ही है लेकिन अब वहां भी सब ठीक नज़र नहीं आ रहा है। हालांकि पाकिस्‍तान में चीन के राजदूत याओ जिंग ने कहा है कि कोरोना वायरस संकट को देखते हुए यह दौरा रद्द किया गया है। उन्‍होंने कहा कि जल्‍द ही नई तारीखों का ऐलान किया जाएगा।

फिलहाल कुछ सूत्रों का ये भी कहना है कि इस दौरे पर संकट के बादलों की असली वजह CPEC के प्रोजेक्ट्स में पाकिस्तान की तरफ से हो रही देरी है। बता दें कि इमरान खान ने अपनी चीन यात्रा के दौरान चीनी राष्‍ट्रपति को पाकिस्‍तान दौरे का न‍िमंत्रण दिया था। हालांकि चीनी राजदूत ने कहा कि वह चीन-पाकिस्‍तान आर्थिक गलियारे की प्रगति से संतुष्‍ट हैं और दोनों देश इस परियोजना में आ रही चुनौत‍ियों से परिचित हैं।

जानकारों के मुताबिक चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग नेअपना दौरा इसलिए रद्द किया है क्योंकि वे सीपीईसी की प्रगति से खुश नहीं है। पाकिस्तान में ग्वादर के रास्ते भारत को घेरने का ख्वाब पाल रहे चीन को जबरदस्त अटके प्रोजेक्ट्स से बड़ा नुकसान हो रहा है। चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में पहले ही अरबों डॉलर लगा चुके ड्रैगन की चिंताएं प्रोजक्ट की सुरक्षा और बढ़ती लागत ने बढ़ा दिया है।

कोरोना वायरस के कारण परियोजना का काम एक तरफ जहां बहुत धीमी गति से बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ बलूचिस्तान में उग्रवादियों के हमले भी तेज हो गए हैं। 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लागत वाले इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने एक स्पेशल फोर्स का गठन किया है, जिसमें 13700 स्पेशल कमांडो शामिल हैं। इसके बावजूद इस परियोजना में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जून में कराची के स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी की माजिद ब्रिग्रेड ने ली थी।

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