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डॉक्टर कफील खान की बढ़ी मुश्किल, 3 महीने बढ़ी एनएसए की अवधि

आगरा। एएमयू में भड़काऊ भाषण देने वाले डॉ. कफील खान पर लगी रासुका में गृह मंत्रालय ने तीन महीने की बढ़ोतरी की है। डॉ. कफील पर 13 फरवरी को एनएसए लगाई गई थी। वह वर्तमान में मथुरा जेल में बंद हैं। कफील गोरखपुर में बच्चों के डॉक्टर रहे है।

डॉ. कफील के वकील इरफान गाजी ने कहा कि उन्होंने खान की अवैध हिरासत वाले यूपी अडवाइजरी बोर्ड ऑर्डर को चुनौती दी है। इस मामले में 16 मई की तारीख तय की गई है। खान के बड़े भाई अदील अहमद खान कहते हैं, ‘लॉकडाउन के दौरान कफील किस तरह से शांति और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ेगा? उसे सिर्फ राजनीतिक कारणों के चलते निशाने पर लिया गया है।’

अदील ने आरोप लगाया कि डॉ. कफील को कार्डियक संबंधी दिक्कतें हैं लेकिन कई बार निवेदन के बावजूद उन्हें सही इलाज नहीं दिया जा रहा है। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि आगरा और मथुरा की जेलों में कोरोना संक्रमित कैदी पाए गए हैं और जेलों में ज्यादा भीड़ होने की वजह से संक्रमण के मामले भी बढ़ने की संभावना है।

क्या है पूरा मामला

दिसंबर महीने में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर योगेंद्र यादव के साथ डॉ. कफील ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में विवादित बयान दिया था। इस पर कफील के खिलाफ सिविल लाइंस केस दर्ज किया गया था। इसी मामले में 10 फरवरी के बाद रिहाई की तैयारी थी। हालांकि, जिला प्रशासन ने डॉ. कफील पर एनएसए के तहत मुकदमा लिख लिया था। इसी के साथ कफील को मथुरा जेल में मुकदमा प्रपत्र रिसीव कराया गया, जिसके चलते उनकी रिहाई नहीं हुई थी।

डॉ. कफील के ऊपर आईपीसी की धारा 153-ए के तहत सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। उनके खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया था कि छात्रों को संबोधित करने के दौरान खान ने बिना नाम लिए कहा कि ‘मोटाभाई’ सबको हिंदू या मुस्लिम बनना सिखा रहे हैं लेकिन इंसान बनना नहीं। उन्होंने आगे कहा कि जब से आरएसएस का अस्तित्व हुआ है, उन्हें संविधान में भरोसा नहीं रह गया। खान ने कहा कि CAA मुस्लिमों को सेकंड क्लास सिटिजन बनाता है और एनआरसी लागू होने के साथ ही लोगों को परेशान किया जाएगा।

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