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Maharashtra: CM की कुर्सी पर आसीन होते ही एक्शन में आए शिंदे, उद्धव सरकार का ये फैसला पलटा

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में तकरीबन 2 हफ्ते पहले आया सियासी तूफान अब एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री के सिंहासन पर विराजमान होने के साथ ही थम चुका है। वहीं, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री की कुर्सी आसीन होकर उन सभी सियासी धुरधंरों को करारा जवाब दिया है, जो कल तक यह तोमहतें लगाने में मशगूल थे कि महाराष्ट्र में छिड़े सियासी बवाल में बीजेपी की साजिश है, लेकिन फडणवीस ने आलाकमान के फरमान की तामील कर उक्त सभी कयासों को निराधार करार दिया है। खैर, शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के साथ ही एक्शन मोड में आ चुके हैं। अब ताबड़तोड़ फैसले लेकर महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा व दशा तय करने में निर्णायक भूमिका अदा कर रहे हैं, लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि शिंदे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा लिए गए फैसलों को पलटकर नए फैसले लेकर प्रदेश की राजनीति को नया आयाम दे रहे हैं। जी हां….बिल्कुल ठीक ही पढ़ा आपने… इस बीच उन्होंने एक ऐसा ही फैसला लिया है। आइए, जरा हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

जानें शिंदे द्वारा लिया गया बड़ा फैसला

दरअसल, सीएम शिंदे ने उद्धव सरकार द्वारा आरे में मेट्रो कार शेड नहीं बनाने को लेकर किए गए फैसले को पलट दिया है। बता दें कि शिंदे की ओर से महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल को साफ निर्देश दिए गए हैं कि आरे में ही मेट्रो शेड ही बनाए जाए। इसके साथ ही मांग की गई है कि जलयुक्त परियोजना को धरातल पर उतारने हेतु भी प्रस्ताव लाया जाए। उधर, प्रदेश में नई सरकार के गठन के उपरांत अब आगामी दो और तीन जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का निर्देश दिया गया है, जिसमें विधानसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव किया जाएगा।

बता दें कि विगत कई दिनों से महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष पद रिक्त है, लिहाजा स्पीकर की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर के नरहरि जिरवाल के नेतृत्व में तमाम विधायकी और विधिक कार्यों को संपन्न किया जा रहा है ,लेकिन अब महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के उपरांत प्रशासनिक गतिविधियों में जारी शिथिलता में गति लाने हेतु नए स्पीकर की मांग जोर पकड़ रही है। उधर,  शिंदे  गुट की ओर से  घोषित प्रवक्ता  दिलीप केसरकर की ओर से शिंदे  सरकार  की भावी कार्ययोजना के बारे में बताया जा रहा है। बहरहाल, अब महाराष्ट्र में नई सरकार के  गठन के बाद प्रदेश में राजनीतिक दिशा व दशा क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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