नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सांसद तेजस्वी सूर्या ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने मोदी सरकार के कामकाज पर अपनी राय रखी साध ही जमकर विपक्ष पर भी निशाना साधा। तेजस्वी सूर्या ने इसके साथ ही बहुसंख्यक समुदाय को भी सतर्क रहने के सलाह दे डाली।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद तेजस्वी सूर्या ने लोकसभा में कहा कि मोदी सरकार का दशकों से लंबित समस्याओं का निणार्यक समाधान करने पर जोर है। सरकार को पता है कि पुराने घावों को भरे बिना नये भारत का निर्माण संभव नहीं है इसलिए वह पहले लंबित समस्याओं का समाधान कर रही है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष भी जानता है कि सीएए का यहां किसी से कोई लेनादेना नहीं है, उसके बाद भी विरोध किया जा रहा है जो निराशाजनक है। सीएए पाकिस्तान समेत पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है लेकिन विरोध करके विपक्ष उन्हें नागरिकता मिलने से रोक रहा है जिसके लिए उसे आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेंगी।
भाजपा सांसद ने पाकिस्तान पर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए का हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इन्हें खत्म कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि देश के हिंदुओं के साथ 500 वर्ष पहले अन्याय हुआ और उनके आराध्य राम का मंदिर तोड़ दिया गया। पीएम मोदी ने हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए संविधान और कानून के दायरे में रहकर इसका भी समाधान निकाला। उनके प्रयासों से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
भाजपा सांसद ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विपक्षी नेता नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष अच्छी तरह जानता है कि सीएए नागरिकता छीनने का नहीं प्रदान करने का कानून है, इसके बावजूद इसे लेकर हायतौबा मचा रखी है। वे चाहते हैं कि इस कानून में मुसलमानों को भी शामिल किया जाये।
उन्होंने कहा कि जिन देशों से आने वाले शरणार्थियों को भारत में नागरिकता देने के लिए कानून बनाया गया है, वे देश मुस्लिम बहुल हैं। उन देशों में हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन जैसे समुदायों के लोगों को अत्याचार का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में उन देशों के मुसलमानों को नागरिकता देने का मतलब तो प्रताड़क और प्रताड़ति दोनों को समान अधिकार प्रदान करना होगा। उन्होंने कहा कि कभी भी शिकार और शिकारी के लिए एक जैसा कानून नहीं होता।