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चीन 1962 वाला भारत समझने की कर रहा है भूल, अगर जंग हुई तो ड्रैगन का नहीं हमारा पलड़ा रहेगा भारी

भारत और चीन के बीच 1967 के बाद सबसे बड़ी झड़प 15 जून की रात हुई। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने जिस बेरहमी से भारतीय सेना की एक टुकड़ी को घेरकर और आतंकियों की तरह वार किया उसकी निंदा पूरी दुनिया में हो रही है। जहां भारत के सैनिकों के पराक्रम को पूरी दुनिया सलाम कर रहा है वहीं चीन की इस धोखेबाजी के लिए हर मंच से उसकी फजीहत हो रही है। इसके बीच भी चीन को शर्म नहीं आ रही। वह भारतीय सेना को और भारत के लोगों को बार-बार धमकी दे रहा है। चीन को लगता है कि भारत वह 1962 वाला भारत है जब वह हमारी सेना से जंग जीतकर हमारी सीमा में कुछ अंदर तक आने में सफल हो गया था। लेकिन चीन वह भूल गया है कि उसके ठीक 5 साल बाद यानि की 1967 में हमारी सेना ने चीनी सैनिकों का क्या हाल किया था।

1967 की जिस घटना का जिक्र हम कर रहे हैं उसमें भी भारतीय सेना चीन पर भारी पड़ी थी। चीन भले ही 1962 में किए धोखेबाजी से भरे हमले की बात करता हो लेकिन वो ये भूल गया कि उसके बाद 1967 में भारतीय सेना ने उसे करारी शिकस्त दी थी। ये वो घटना थी जिसमें ना सिर्फ चीन को मुंह की खानी पड़ी थी और इसके सैकड़ों चीनी सैनिक मारे गए थे बल्कि उसके कई बंकर भी ध्वस्त कर दिए गए थे।

जानिए कैसे भारतीय सैनिकों के पराक्रम के आगे चीनी सैनिकों ने घूटने टेक दिए थे

1967 में नाथु ला की सुरक्षा का जिम्मा 2 ग्रेनेडियर्स बटालियन के जिम्मे था। सैन्य गश्त के दौरान अक्सर चीनी और भारतीय सैनिकों में धुक्का मुक्की हो जाती थी। 11 सितंबर 1967 को ऐसी ही एक घटना को देखते हुए नाथु ला और सेबु ला के बीच तार बिछाने का फैसला किया गया। जब बाड़बंदी शुरू हुई तो चीनी सैनिक विरोध करने लगे और इसके बाद अपने बंकरों में पहुंच गए। कुछ ही देर बाद उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी और भारतीय सेना को नुकसान उठाना पड़ा। देखते ही देखते 10 मिनट में 70 सैनिक हमारे शहीद हो गए।

लेकिन इसके बाद भारत के जांबाज जवानों ने जो जवाबी हमला किया उसने चीन को हिलाकर रख दिया। सेबु ला और कैमल्स बैक में अपनी मजबूत स्थिति की मदद से भारते ने भारी जवाब देते हुए चीन के कई बंकर ध्वस्त कर दिए। चीनी सेना के आंकलन के अनुसार इस जवाबी कार्रवाई में उसके 400 के लगभग सैनिक मारे गए थे। लेकिन भारतीय सेना के आंकलन की मानें तो ये संख्या 800 से हजार के बीच थी। चीन को अपनी वास्तविक स्थिति से लगभग 3 किलोमीटर पीछे धकेल दिया गया था और आजतक वह वहीं हैं।

चोला में भी भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सेना के दी थी शिकस्त

इसी तरह एक लड़ाई अक्टूबर 1967 में भी हुई थी। तब चीन ने चाओ ला इलाके में 7/11 गोरखा राइफल्स एवं 10 जैक राइफल्स नामक भारतीय बटालियनों ने इस दुस्साहस को नाकाम कर चीन को फिर से सबक सिखाया था। चोला और नाथूला पास पर 1967 में हुई 10 दिन की लड़ाई में चीन को करारी हार मिली थी। उसके 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे जबकि भारत के 65 सैनिक शहीद हुए थे। उसके बाद से यहां तक आने की फिर चीन ने कभी हिम्मत नहीं दिखाई।

यह तो 1967 का भारत था अब हम 2020 के न्यू इंडिया में हैं। भारत सैन्य क्षमता के मामले में पहले से ज्यादा समृद्ध और शक्तिशाली है। भारतीय सेना के रणकौशल का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है। पूरी दुनिया को पता है कि ऊंचाई वाले इलाके में भारतीय सेना के पराक्रम के सामने किसी भी देश की सेना टिक नहीं पाएगी। भारतीय सेना के जवानों को ऐसी परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए जो ट्रेनिंग दी जाती है वह पूरी दुनिया में किसी सेना को नहीं दी जाती। ऊपर से चीनी सेना के पास असली लड़ाई का कोई अनुभव नहीं है। आखिरी लड़ाई चीनी सेना ने 1979 में वियतनाम खिलाफ लड़ी थी। कहा जाता है कि उस लड़ाई में चीन की हार हुई थी। जबकि भारतीय सेना की ग्राउंड फोर्स बेहद मजबूत है। उन्हें कश्मीर जैसे खतरनाक और अशांत इलाके में काम करने का लंबा अनुभव है।

चीन को यह भी पता है कि भारतीय सेना इन दुर्गम इलाकों में अपनी सेना की ताकत को कभी भी बढ़ा सकता है। जबकि चीन के लिए यहां इन खतरनाक इलाकों में पहुंचना आसान नहीं होगा। भारत तिब्बत से सटे इलाके में रेल लाइनों पर हमला कर सकता है। जिसके बाद चीन के पास यहां तक पहुंचने के सारे मार्ग अवरुद्ध हो जाएंगे। लेकिन भारत ने अपने क्षेत्र में जिस तेजी से इन इलाकों तक सड़क मार्ग का विस्तार किया है। चीन की चिंता की असली वजह ही यही है।

ये बात केवल हम नहीं कह रहे बल्कि दुनिया के कई प्रमुख संस्थानों ने माना है कि अगर इस समय भारत से उलझने की चीन जुर्रत भी करता है तो उसे इसका बड़ा खामियाजा भुगतना होगा। भारतीय सेना इस समय चीन की सैन्य शक्ति पर भारी पड़ेगी। इसी को लेकर अमेरिका की जानी-मानी वेबसाइट सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर युद्ध हुआ तो भारत का पलड़ा भारी रह सकता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1962 से लेकर अब के हालात बदल गए हैं। अब भारत की ताकत बेहद बढ़ गई है।

भारत और चीन की सेना के बीच क्या है अंतर

आपको बता दें कि भारत अपनी जी़डीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 फीसदी हिस्सा खर्च करता है, भारत का सैन्य बजट लगभग 4,252 अरब का है। वहीं चीन अपनी सकल घरेलू उत्पाद का 1.9 फीसदी हिस्सा ही सेना पर खर्च करता है, चीन का सैन्य बजट लगभग 17,327 अरब का है।

लेकिन भारतीय सेना से बड़ी बटालियन रखनेवाले चीन की सेना में भारतीय जवानों की तरह देशभक्ति के जज्बे की बेहद कमी है। भारतीय सेना शुरू से ही बिल्कुल प्रोफेशनल रवैया अपनाती रही है और हर कठिन परिस्थिति में कम संसाधनों या संसाधनों के अभाव में भी उनका जज्बा कभी कम नहीं हुआ है।

दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं। चीन 1964 में न्यूक्लियल पावर देश बना था। जबकि 10 साल बाद यानी 1974 में भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया था। चीन के पास जहां कुल 320 परमाणु हथियार हैं वहीं भारत के पास 150 हथियारों का जखीरा है।

भारत के पास हवा में मार करने वाले 270 फाइटर जेट हैं। जबकि भारत के जमीन पर मार करने वाले 68 एयरक्राफ्ट हैं। वहीं चीन की सीमा पर भारत के कई एयरबेस हैं जहां से हमला किया जा सकता है।

चीन के पास सिर्फ 157 फाइटर जेट हैं। जबकि उनके पास जमीन पर मार करने वाले एयरक्राफ्ट भी भारत के मुकाबले काफी कम है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के पास सीमा पर 8 एयरबेस हैं। लेकिन ये ज्यादातर सिविलियन एयरफिल्ड हैं। माना जाता है कि चीन को यहां हमला करने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा खराब मौसम के चलते चीन के एयरक्राफ्ट ज्यादा गोलाबारुद और ईंधन के साथ उड़ान नहीं भर सकते। एक स्टडी की मानें को भारत के मिराज 2000 और Su-30 जेट किसी भी मौसम में उड़ान भर सकते हैं। जबकि चीन के जेट J-10 में इतनी ताकत नहीं है।

तिब्बत और LAC इलाके में भारत के 225,000 फौजी तैनात हैं। जबकि यहां चीन के 200,000 से 230,000 सैनिक हैं। भारत कभी भी यहां अपनी ताकत बढ़ा सकता है। जबकि चीन के लिए यहां इन खतरनाक इलाकों में पहुंचना आसान नहीं होगा।

अब नजर डालते हैं दोनों देशों की सैन्यबल की ताकत पर

भारतीय सैन्यबल

सक्रिय सैनिक – 21,40,000
रिजर्व सैनिक – 11,55,000
सेना के लिए उपलब्ध – 31,91,29,420
चीन का सैन्यबल
सक्रिय सैनिक – 23,00,000
रिजर्व सैनिक – 80,00,000
सेना के लिए उपलब्ध – 38,58,21,101

दोनों देशों की थलसेना

भारत की थलसेना में शामिल हथियार
टैंक – 4,426
आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल – 5,681
कुल तोपें – 5,067
खुद चलने वाली तोपें – 290
रोकट तोपें – 292
चीन की थलसेना में शामिल हथियार
टैंक – 7,760
आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल – 6,000
कुल तोपें – 9,726
खुद चलने वाली तोपें – 1,710
रोकट तोपें – 1,770
भारत के पास कितने टैंक
टी-72 – 2,410
टी-90 – 1,650
अर्जुन एमके1 – 248
अर्जुन एमके2 – 118
चीन के पास टैंकों की संख्या
टाइप 96 96ए 96बी – 2,500
टाइप 59 – 2,360
टाइप 63 – 800
टाइप 99 – 500
टाइप 88 – 500
टाइप 99ए – 500
टाइप 79 – 300
टाइप 69 – 300

दोनों देशों की वायुसेना

भारत की वायुसेना का विस्तार
कुल एयरक्राफ्ट – 2,216
फाइटर एयरक्राफ्ट – 323
मल्टीरोल एयरक्राफ्ट – 329
हमलावर एयरक्राफ्ट – 220
हेलीकॉप्टर्स – 725
चीन की वायुसेना का विस्तार
कुल एयरक्राफ्ट – 4,182
फाइटर एयरक्राफ्ट – 1,150
मल्टीरोल एयरक्राफ्ट – 629
हमलावर एयरक्राफ्ट – 270
हेलीकॉप्टर्स – 1,170
भारत के फाइटर एयरक्राफ्ट
मिग 21 – 245
मिग 29 – 78
चीन के फाइटर एयरक्राफ्ट
चेंगडू जे-7 – 558
शेन्यांग जे-11 – 277
शेन्यांग जे-8 – 143
भारत के मल्टीरोल एयरक्राफ्ट
सुखाई सु-30एमकेआई – 230
दसोल्ट मिराज 2000 – 45
मिग 29के – 45
एचएएल तेजस – 9
चीन के मल्टीरोल एयरक्राफ्ट
चेंगडू जे-10 – 266
चेंगडू जे-20 – 28
चेंगडू जे-15 – 21
सुखोई सु-35एस – 24

दोनों देशों की नौसेना

भारत की नौसेना का आकार
कुल नौसैनिक – 214
विमानपोत – 2
ध्वंसक पोत – 11
युद्ध पोत – 15
लड़ाकू जलपोत – 24
पनडुब्बी – 15
चीन की नौसेना का आकार
कुल नौसैनिक – 780
विमानपोत – 2
ध्वंसक पोत – 36
युद्ध पोत – 54
लड़ाकू जलपोत – 42
पनडुब्बी – 76
भारत के पास युद्ध पोत
तलवार क्लास – 6
शिवालिक क्लास – 3
ब्रह्मपुत्र क्लास – 3
गोदावरी क्लास – 3
चीन के पास युद्ध पोत
टाइप 054ए – 28
टाइप 053 – 13
टाइप 054 – 2
भारत के पास पनडुब्बी
सिंधुघोष – 9
शिशुमार – 4
चक्र – 1
अरिहंत क्लास – 1
चीन के पास पनडुब्बी
टाइप 039ए – 18
टाइप 035 – 17
टाइप 039 – 13
किलो – 12
टाइप 093 – 6

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