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Shardiya Navratri 2023: देशभर में नवरात्रि की धूम, आज से शुरू हुआ 9 दिनों तक चलने वाला पवन पर्व, 30 सालों बाद बन रहा ऐसा शुभ संयोग

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पुर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं। दिल्ली हो या माता वैष्णो की नगरी जम्मू या फिर प्रयागराज हर जगह श्रद्धालु आज सुबह से मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं।

नई दिल्ली। देशभर में आज से नवरात्रि का पावन त्यौहार शुरू हो चुका है। हिन्दू धर्म में 9 दिनों तक चलने वाले सबसे बड़े त्यौहार नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना की जाती है। उसके बाद इसकी दसवीं तिथि को विजयादशमी या दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस बार अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 14 अक्टूबर 2023 की रात्रि 11:24 मिनट से हुई जो 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक है। चूंकि उदया तिथि 15 अक्टूबर को हुई इसी कारण नवरात्रि के पवन पर्व की शुरुआत भी आज से ही हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आज देशभर में नवरात्रि की धूम है। देश के अलग-अलग कोनों में लोग नवरात्रि का पवित्र त्यौहार मनाते नजर आ रहे हैं।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पुर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं। दिल्ली हो या माता वैष्णो की नगरी जम्मू या फिर प्रयागराज हर जगह श्रद्धालु आज सुबह से मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं।

30 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग

आपको बता दें कि इस बार ऐसा माना जा रहा है कि 30 साल बाद ऐसा संयोग है जब नवरात्र का फल लोगों को बहुत ही सुखदायी मिलेगा। क्योंकी मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं जो की एक शुभ संकेत देता है। ज्योतिषाचार्य और जानकारों की माने तो आने वाला समय सुख और समृद्धि का है। माना जाता है कि देवी दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना अति शुभ होता है।

पहले दिन कैसे करे मां शैलपुत्री की पूजा

गंगाजल से साफ करके मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापना (घट स्थापना) करें। नवरात्री में कलश के उपर कलावा बांधे और उपर आम और अशोक के पत्ते रखे। इन पत्तों को हिन्दू धर्म में अति शुभ माना गया है। इसके बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद माता को रोली-चावल लगाएं और सफेद फूल मां को चढ़ाकर माता शैलपुत्री के बीज मंत्र – ‘ह्रीं शिवायै नम:।’ का जाप करें।

देवी दुर्गा की पूजा अर्चना के अलावा रामजन्म भूमि अयोध्या समेत देशभर में रामलीला का मंचन भी किया जा रहा है। बता दें कि हिन्दू धर्म के अनुसार इन्हीं दस दिनों के अभ्यंतर में रामायण का युद्ध भी लड़ा गया था और इसकी दशवीं तिथि को प्रभु श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था। इसीलिए दशहरा के अवसर पर हर साल देशभर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है। वहीं एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार आदिकाल में देवी दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का भी वध किया था इसीलिए इस दिन को विजयादशमी के रूप में भी मनाया जाता है।