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Chaitra Navratri 2024: कल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना, जानिए पूजा विधि और मंत्र से जुड़ी जानकारी

Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि से जुड़ी सारी जानकारियां विस्तार में।

नई दिल्ली। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का बेहद महत्त्व होता है। कल यानी 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। साल में चार नवरात्रि आती है, दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि। चैत्र और शारदीय नवरात्रि दो प्रकट नवरात्रि हैं। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि से जुड़ी सारी जानकारियां विस्तार में।

मां शैलपुत्री

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालयराज की बेटी हैं। मां शैलपुत्री की सवारी वृषभ है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि की बढ़ोतरी होती है और चन्द्रमा के बुरे प्रभाव दूर होते हैं।

पूजन सामग्री और भोग

चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री का स्मरण करें। मां शैलपुत्री को सफ़ेद रंग का वस्त्र प्रिय है। मां को लाल और सफ़ेद रंग के पुष्प अर्पित करें। माता शैलपुत्री की पूजा में बेलपत्र का बेहद महत्त्व होता है। इनके अलावा मां की पूजन सामग्री में अक्षत,धूप, दीप, फल, इत्यादि को शामिल करें।

इन मंत्रों से करें मां शैलपुत्री का आह्वान 

  • हे नगजाये नमः हे शिवा प्रियाये नमः मूल रुपाये नमः
  • ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नम:
    वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्॥
    वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
  • या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

इन मंत्रों के साथ माता शैलपुत्री का आह्वान करें। इसके बाद फूल, अक्षत, धूप, वस्त्र माता को अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अब घी और गाय के दूध से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं। अब माता शैलपुत्री की दीप और कपूर से आरती करें। पूजा संपन्न होने के बाद अनजाने में हुई सम्पूर्ण गलतियों के लिए माता से हाथ जोड़कर क्षमा मांगें साथ ही आशीर्वाद भी मांगें।