Kaal Bhairav Jayanti 2022: कालाष्टमी के दिन करें ये काम, भगवान भैरव का मिलेगा पूरा आशीर्वाद

Kaal Bhairav Jayanti 2022: इसे भैरव जयंती, कालाष्टमी और भैरव अष्टमी के नाम से भी जाता है। इस साल कालाष्टमी 16 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। आइए हम आपको बताते है काल भैरव की पूजा करने का महत्व

Avatar Written by: November 12, 2022 10:08 am

नई दिल्ली। वैसे तो हिंदू धर्म में आए दिन कोई ना कोई त्योहार जरूर होता है। हर त्योहार का अपना ही एक महत्व होता है। उन्हीं त्योहार में से एक त्योहार काल भैरव जयंती है। काल भैरव भगवान शिव का ही रूप है। भगवान शिव का ये रूप सबसे रौद्र रूप होता है। हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती के रूप में मानाया जाता है। इसे भैरव जयंती, कालाष्टमी और भैरव अष्टमी के नाम से भी जाता है। इस साल कालाष्टमी 16 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। आइए हम आपको बताते है काल भैरव की पूजा करने का महत्व-

मुहूर्त-

हिंदू देवताओं में भैरव बाबा का बहुत ही महत्व है। भैरव का मतलब ही होता है भय का हरण। इस बार 16 नवंबर को कालाष्टमी या भैरव जयंती मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि भैरव शब्द तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। काल भैरव कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाती है। इस बार अष्टमी तिथि का आरंभ 16 नवंबर 2022 बुधवार के दिन सुबह 05 बजकर 49 मिनट से शुरू हो जाएगा और 17 नवंबर 2022 दिन गुरुवार सुबह 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।

उपाय-

  1. कालाष्टमी को शमी के पेड़ के नीचे  सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसे करने से शादी शुदा युवती के वैवाहिक जीवन में खुशियां आने लगती है।
  2. काल भैरव के दिन एक रोटी को सरसों के तेल में चुपड़कर किसी काले कुत्ते को खिला दें। इससे व्यक्ति को उसके परिवार को खूब तरक्की मिलती है।
  3. काल भैरव जयंती के दिन किसी भैरव मंदिर में जाकर काल भैरव को सिंदूर और तेल अर्पित करें
  4. काल भैरव जयंती के दिन किसी भैरव मंदिर में जातक उनकी प्रतिमा पर सिंदूर और तेल अर्पित करें। इसके साथ ही नारियल और जलेबी का भोग भी लगाएं। इससे काल भैरव प्रसन्न होते हैं।

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