नई दिल्ली। सनातन धर्म मे मनाए जाने वाले कई त्योहारों में से एक है तुलसी विवाह। तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र नहीं माना जाता है। इस दिन तुलसी की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह कराया जाता है। ये पर्व प्रत्येक साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। तो जानते हैं तुलसी विवाह की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि क्या है?
शुभ-मुहूर्त
कार्तिक द्वादशी तिथि शनिवार 05 नवंबर 2022 शाम 06:08 से आरंभ होकर रविवार, 06 नवंबर 2022 की शाम 05:06 पर समाप्त हो जाती है।
पूजा-विधि
1.तुलसी विवाह के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2.शाम के समय एक चौकी पर कपड़ा बिछाएं।
3.उस पर तुलसी का पौधा और भगवान शालिग्राम को स्थापित करें।
4.अब भगवान पर गंगाजल छिड़कें साथ ही एक कलश में जल भरकर चौकी के पास रखें।
5.भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
6.माता तुलसी और भगवान शालीग्राम को रोली और चंदन का तिलक लगाएं।
7.अब तुलसी पौधे के गमले में गन्नों का इस्तेमाल करते हुए मंडप बनाएं।
8.इसके बाद तुलसी की पत्तियों पर सिंदूर लगाकर उन्हें लाल चुनरी ओढाएं।
9.अब मां तुलसी को श्रृंगार का सारा सामान अर्पित करें।
10.तत्पश्चात अपनी हथेली पर भगवान शालीग्राम को बैठाकर तुलसी जी की परिक्रमा करें।
11.अंत में आरती कर प्रणाम करें।
12.अब भगवान के सामने हाथ जोड़कर भगवान से अपने वैवाहिक जीवन के सुखी होने की मंगलकामना करें।