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Tulsi Mala: परेशानियों से घिरे रहते हैं तो गले में धारण करें तुलसी की माला, दूर होंगे सारे कष्ट

Tulsi Mala: तुलसी के पौधे के साथ ही इसकी लकड़ी से बनी माला भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद होती है। जो भी इसे अपने गले में धारण करता है उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं तुलसी की माला पहनने के क्या फायदे होते हैं…

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को खास अहमियत दी जाती है। कहते हैं तुलसी का पौधा जिस घर में होता है वहां रहने वाले लोगों पर कभी कोई संकट नहीं आता है। ऐसे घरों में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। तुलसी का पौधा का हिन्दू धर्म में तो महत्व है ही साथ ही इसके औषधीय रूप से भी इसे काफी महत्व दिया जाता है। तुलसी के पौधे के साथ ही इसकी लकड़ी से बनी माला भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद होती है। जो भी इसे अपने गले में धारण करता है उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं तुलसी की माला पहनने के क्या फायदे होते हैं…

Tulsi Mala

तुलसी की माला पहनने के ये हैं फायदे

  • जो भी जातक तुलसी की माला धारण करता है तो इससे उसका बुध और शुक्र ग्रह मजबूत होता है। उस व्यक्ति को मानसिक रूप से किसी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे लोगों का मन भी उनके नियंत्रण में रहता है।
  • तुलसी का पौधा घर में होने से जिस तरह सकारात्मक वातावरण बनाए रखता है, ठीक उसी तरह से गले में इसकी माला पहनने से व्यक्ति के पास नकारात्मकता नहीं टिक पाती और हर संकटों से वो सुरक्षित रहता है।

Tulsi Mala

  • तुलसी का माला मन को शांत करती है और आत्मविश्वास भी बढ़ाती है। इससे मन में पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है।
  • इस बात का ख्याल रखें कि तुलसी की ये माला तभी फायदा पहुंचाती है जब आपका मन साफ हो। आपको इस माला के साथ ही अपने मन को पवित्र रखना होगा। जब भी शौच के लिए जाए तो पहले इसे उतार कर मंदिर में रख दें।
  • तुलसी की माला को कभी गंदे हों से भी नहीं छूना चाहिए और न ही इसके पहनकर संबंध बनाने चाहिए।
  • अगर आपने तुलसी की माला पहनी हुई है तो आपको मांस मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए।

Tulsi Mala

  • कभी भी तुलसी की माला और रुद्राक्ष को साथ में नहीं पहनना चाहिए। साथ में अगर आप इसे पहनते हैं तो आपको दोनों में से किसी का भी फायदा नहीं मिलता।
  • तुलसी की माला धारण करने जा रहे हैं तो पहले इसे गंगाजल और दूध से धो लें। इसके बाद भगवान विष्णु या कृष्ण का ध्यान करते हुए इसे धारण करें।