newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर इन मंत्रों का करेंगे जाप तो विघ्न हरेंगे विघ्नहर्ता, जानिए पूजा की सही विधि

Ganesh Chaturthi 2022: भगवान की मूर्ति खरीदते समय लोग गणपति बप्पा की सूंड़ और उनकी स्थापना के स्थान की दिशा, दशा आदि का ध्यान रखते हैं। लेकिन अगर उनकी पूजा में कोई कमी रह जाती है तो पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता तो आइये आपको बताते हैं कि किस विधि से पूजा की जाए कि भगवान हो जाएं प्रसन्न…

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है गणेश चतुर्थी का त्योहार। लोग पूरे साल इस त्योहार की बेसब्री से प्रतीक्षा करते रहते हैं। आज उनका इंतजार पूरा हुआ। आज बुधवार को देश भर में घर-घर में गणपति बप्पा पधारेंगे और लोगों के विघ्न हरेंगे। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व की समाप्ति 9 सिंतबर को अनंत चतुर्थी के दिन हो जाएगी। भगवान की मूर्ति खरीदते समय लोग गणपति बप्पा की सूंड़ और उनकी स्थापना के स्थान की दिशा, दशा आदि का ध्यान रखते हैं। लेकिन अगर उनकी पूजा में कोई कमी रह जाती है तो पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता तो आइये आपको बताते हैं कि किस विधि से पूजा की जाए कि भगवान हो जाएं प्रसन्न…

गणेश चतुर्थी की पूजा-विधि

1.गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद गणेश स्थापना के स्थान को स्वच्छ करें।

2.इसके बाद गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करें।

3.पूजा के समय आपका मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

4.इसके बाद श्रीगणेश यंत्र की स्थापना करें।

5.अब मंत्रों का जाप करते हुए चारों ओर गंगाजल छिड़कें।

6.इसके बाद दूर्वा घास समेत सारी पूजा सामग्री भगवान को चढ़ाएं।

7.अब हाथों में चावल लें और कथा का पाठ करें।

8.इसके बाद भगवान को मोदक का भोग लगाकर गणेश चालीसा का पाठ करें।

9.पूजा के आखिर में घी का दीपक जलाकर भगवान की आरती करें।

10.इस दिन व्रत रखने वाले साधक को एक समय का ही भोजन करना चाहिए।

11.उन्हें पूरे दिन भजन कीर्तिन और दान करते रहना चाहिए।

12.इसके अलावा, भगवान गणेश के 21 नामों का जाप करें।

ॐ गणञ्जयाय नमः

ॐ गं गणपतये नमः

ॐ गं हेरम्बाय नमः

ॐ गं धरणीधराय नमः

ॐ गं महागणपतये नमः

ॐ गं लक्षप्रदाय नमः

ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः

ॐ गं अमोघसिद्धये नमः

ॐ गं अमृताय नमः

ॐ गं मंत्राय नमः

ॐ गं चिंतामणये नमः

ॐ गं निधये नमः

ॐ गं सुमङ्गलाय नमः

ॐ गं बीजाय नमः

ॐ गं आशापूरकाय नमः

ॐ गं वरदाय नमः

ॐ गं शिवाय नमः

ॐ गं काश्यपाय नमः

ॐ गं नन्दनाय नमः

ॐ गं वाचासिद्धाय नमः

ॐ गं ढुण्ढिविनायकाय नमः