
नई दिल्ली। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, हमारे आस-पास के क्षेत्र में मौजूद ध्वनियों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है। ये प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है और सकारात्मक भी हो सकता है। जैसे हमारे आस-पास होने वाला शोर-शराबा मन में बेचैनी और झुंझलाहट पैदा करता है, तो वहीं, कोई मधुर धुन या संगीत हमारे मन को शांत करने के साथ हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। उसी प्रकार से हमारे घर में लगी डोरबेल की ध्वनि का संबंध भी वास्तु से है। इसलिए अपने घर के लिए डोरबेल का चयन काफी सोच-समझ कर करना चाहिए। आइये आपको बताते हैं कि घर में डोरबेल लगाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1.वास्तु के अनुसार, घर की दक्षिण-पूर्वी दीवार की पूर्व दिशा में मंत्रोच्चार वाली डोरबेल लगाना काफी अच्छा माना जाता है।
2.पक्षियों के चहचहाने की ध्वनि वाली डोरबेल को उत्तर-पश्चिम की दीवार पर लगाना काफी शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिशा से घर में वायु प्रवेश करती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार पूरे घर में हो जाता है।
3.डोरबेल हमेशा कानों को प्रिय लगने वाली होनी चाहिए। अप्रिय ध्वनि वाली डोरबेल बहुत हानिकारक मानी जाती है।
4.पूजा घर के पास डोरबेल भूलकर भी न लगाएं। इससे पूजा करते समय ध्यान भंग होता है और पूजा में मन और ध्यान नहीं लगता है।
5.डोर बेल का स्विच घर के मुख्य द्वार पर दरवाजे के दाईं ओर होना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि आपके आगन्तुक बेल को बजाने के लिए अपने दाएं हाथ का इस्तेमाल करें।
6.डोरबेल का स्विच हमेशा नेमप्लेट से ऊपर होना चाहिए। ऐसा करने से मेहमानों के साथ आपके रिश्ते तो मधुर होते ही हैं साथ ही परिवार के मुखिया की भी तरक्की होती है।