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Kartik Purnima: 15 नवंबर को देशभर में मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा, बन रहे दुर्लभ संयोग, जानिए किस विधि से कर सकते हैं पूजा

Kartik Purnima: इस पवित्र दिन पर अन्न, धन, वस्त्र, काले तिल, घी, दूध, दही और चावल का दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। ऐसा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन गजकेसरी योग, बुधादित्य योग और वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही 30 साल बाद शश महापुरुष राजयोग भी बन रहा है। इन दुर्लभ संयोगों के कारण इस दिन पूजा और दान करना सौ अश्वमेघ यज्ञ के समान फलदायी हो सकता है।

नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, जिसे देव दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और पूजा करने से अनेक जन्मों के पापों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

शुभ संयोग और देवताओं का गंगा स्नान

पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता पृथ्वी पर गंगा स्नान करने आते हैं। शाम के समय दीपदान का विशेष महत्व है, जिसे देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। जो लोग गंगा स्नान करने में असमर्थ होते हैं, वे घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल जीवनभर मिलता है और इससे पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।

भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, इसलिए इस दिन को विशेष रूप से विष्णु भगवान की पूजा के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि काशी में गंगा स्नान और दीपदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन घर में सत्यनारायण कथा का आयोजन करने से देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व

इस पवित्र दिन पर अन्न, धन, वस्त्र, काले तिल, घी, दूध, दही और चावल का दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। ऐसा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन गजकेसरी योग, बुधादित्य योग और वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही 30 साल बाद शश महापुरुष राजयोग भी बन रहा है। इन दुर्लभ संयोगों के कारण इस दिन पूजा और दान करना सौ अश्वमेघ यज्ञ के समान फलदायी हो सकता है।


देव दिवाली पर दीपदान और पूजा

इस दिन 8 मुखी घी का दीपक जलाकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही घर और आंगन में 11 या 21 दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। नदी या जलाशय में दीपदान करना भी विशेष पुण्य का कारण बनता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा का आरंभ 15 नवंबर को सुबह 6:19 बजे होगा और इसका समापन 16 नवंबर को सुबह 2:58 बजे होगा। स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 4:58 बजे से 5:51 बजे तक रहेगा। भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 6:44 बजे से 10:45 बजे तक रहेगा।