
नई दिल्ली। सनातन धर्म में स्त्रियों को देवी का रूप माना जाता है। इतना ही नहीं, कन्या रूप में उन्हें माता का प्रतिमूर्ति मानते हुए उनकी पूजा भी की जाती है। इस समय देश भर में नवरात्रि चल रही है और इस अवसर पर अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करके उन्हें भोजन कराने का नियम है। ऐसी मान्यता है कि नवमी (Navami 2022) के दिन कन्या और बटुक की पूजा करने से मां भगवती अत्यंत प्रसन्न होती हैं। अपने भक्तों को वो धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शास्त्रों में कन्या की आयु के अनुसार कन्या पूजन करने के महत्व और लाभ के विषय में बताया गया है। तो आइए जानते हैं कन्याओं की आयु का क्या महत्व बताया गया है…
कन्या पूजन तिथि (Kanya Pujan 2022 Date)
हिंदू पंचाग के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर व नवमी तिथि 4 अक्टूबर को पड़ रही है।
उम्र के अनुसार कन्या पूजन का महत्व
2 वर्ष- 2 साल की कन्या का पूजन करने से जीवन से दुःख, दरिद्रता और अन्य कई प्रकार की समस्याओं की समाप्ति हो जाती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि प्रवेश करती है।
3 वर्ष- 3 साल की आयु की कन्या-पूजन करने से घर-परिवार में शांति आती है साथ ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। बता दें कि तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है।
4 वर्ष- 4 साल की कन्या का पूजन करने से बुद्धि, विद्या और राज-सुख की प्राप्ति होती है। 4 वर्ष की कन्या को देवी कल्याणी का स्वरूप माना जाता है।
5 वर्ष- हिंदू शास्त्रों में 5 साल की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को गंभीर रोगों से छुटकारा मिलता है। 5 वर्ष की कन्या को देवी रोहिणी का स्वरूप माना जाना जाता है।
6 वर्ष- नवरात्र में 6 साल की कन्याओं का पूजन करने से शत्रुओं की हानि होती है। 6 वर्ष की कन्या को देवी कालिका का रूप माना जाता है।
7 वर्ष- 7 साल की कन्या की पूजा करने से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 7 साल की कन्या को देवी चंडिका का रूप माना जाता है।
8 वर्ष- 8 साल की कन्याओं का पूजा करके उन्हें भोग लगाने से कोर्ट कचहरी और आपसी विवाद के मामले जल्दी सुलझ जाते हैं। 8 वर्ष की कन्या को देवी शांभवी का रूप माना जाता है।
9 वर्ष- अष्टमी या नवमी तिथि को 9 साल की कन्या का पूजन करने से कष्ट, दोष से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 9 साल की कन्या को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है।
10 वर्ष- नवरात्रि में 10 वर्षीय कन्या का पूजन कर उसे भोग लगाने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। 10 साल की कन्या को माता सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है।