नई दिल्ली। कैलेंडर में भले ही 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत होती हो लेकिन पंचांग के अनुसार हिंदू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होता हैं। गुड़ी पड़वा का अर्थ होता हैं साल का पहला दिन। गुड़ी पड़वा मराठीयों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता हैं। मराठी इसे काफी धूम धाम से मनाते हैं। हालांकि, उत्तर भारत में इसे नवरात्र के पहले दिन के रूप में मनाया जाता हैं। गुड़ी पड़वा का अर्थ होता हैं विजय ध्वज, और गुड़ी पड़वा को लेकर कई बाते कही जाती हैं कि इसे क्यों मनाया जाता हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर गुड़ी पड़वा को मनाने का क्या महत्व हैं-
गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता हैं?
इस बार गुड़ी पड़वा 22 मार्च 2023 से शुरु हो रहा हैं। यह अक्सर मार्च या अप्रैल महीने में होता हैं। गुड़ी पड़वा से जुड़ी तो वैसे कई मान्यता हैं लेकिन एक मान्यता हैं जो काफी प्रचलित हैं वह यह हैं कि भारत पर मुगलों का शासन था उस समय मराठा वीर शिवाजी ने मुगलों को हराकर उन पर विजय पाई थी। शिवाजी ने अपने विवेक और बुद्धि से मुगलों से कई किले जीते जिसके बाद महाराष्ट्र के लोगों ने इसे जीत दिवस के रूप में मनाया। इस दिन चैत्र-शुक्ल प्रतिपदा तिथि थी जिस कारण हर साल इस दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता हैं।
महत्व-
इस दिन के महत्व के बारे में बात करें तो ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन 5 फीट लंबी बांस में कई कपड़े के टुकड़े को बांधकर झंडा बनाया जाता हैं। और इस बांस को चांदी के या कांसे के बर्तन में रखा जाता हैं। इसके अलावा इसमें नीम और मिश्री का माला बना कर इसे पहनाया जाता हैं। ऐसी मान्यता हैं कि इस ध्वज से घर में सुख-समृद्धि आती हैं और मां लक्ष्मी का घर में वास होता हैं।
उत्सव-
इसके अलावा गुड़ी पड़वा के दिन लोग घरों में सुबह उठकर अपने घर की सफाई करते हैं फिर खुद स्नान कर और साफ-स्वच्छ कपड़े पहन कर पूजा करते हैं। इस दिन गेट के पास रंगोली बना कर और आम के पत्तों से गेट को सजाते हैं। महाराष्ट्रवासी इस दिन को नए वर्ष के रूप में मनाते हैं। इस दिन अपने परिवार, दोस्तों के साथ एन्जॉय करते हैं।