नई दिल्ली। वरुथिनी एकादशी व्रत (Varuthini Ekadashi) आज है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल वरुथिनी एकादशी व्रत 7 मई यानी आज को पड़ रही है। इस दिन भगवान श्री विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है। विधि विधान से पूजा करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन अगर भगवान विष्णु के लिए फलाहार करते हुए व्रत रखा जाता है।
वरुथिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
— इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प करें।
— इसके बाद स्नान आदि कर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें।
— इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं।
— सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें।
— अगले दूसरे दिन यानी की 23 अप्रैल, रविवार के दिन सुबह पहले की तरह करें।
— इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे।
— इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।
वरुथिनी एकादशी व्रत कथा
वरुथिनी एकादशी के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक लोकप्रिय कथा राजा मांधाता की है। प्राचीन काल में नर्मदा नदी के किनारे बसे राज्य में मांधाता राज करते थे। वे जंगल में तपस्या कर रहे थे, उसी समय एक भालू आया और उनके पैर खाने लगा। मांधाता तपस्या करते रहे। उन्होंने भालू पर न तो क्रोध किया और न ही हिंसा का सहारा लिया।
पीड़ा असहनीय होने पर उन्होंने भगवान विष्णु से गुहार लगाई। भगवान विष्णु ने वहां उपस्थित हो उनकी रक्षा की पर भालू द्वारा अपने पैर खा लिए जाने से राजा को बहुत दुख हुआ। भगवान ने उससे कहा- हे वत्स! दुखी मत हो। भालू ने जो तुम्हें काटा था, वह तुम्हारे पूर्व जन्म के बुरे कर्मो का फल था। तुम मथुरा जाओ और वहां जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत रखो। तुम्हारे अंग फिर से वैसे ही हो जाएंगे। राजा ने आज्ञा का पालन किया और फिर से सुंदर अंगों वाला हो गया।