नई दिल्ली। रुद्राक्ष (Rudraksha) भगवान शिव (Lord Shiva) को काफी प्रिय है। जो हिमालय के तराई क्षेत्र और नेपाल में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के फल का बीज होते हैं। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, इसका संबंध भगवान शिव से है। शिव पुराण के अनुसार सालों की कई तपस्या में लीन शिव जी ने जब अचानक किसी कारणवश अपने नेत्र खोले। तो उनके नेत्र से आंसुओं की कुछ बूदं पर्वत पर गिरी, इन्हीं बूंदों से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए।
रूद्राक्ष अर्थ है रुद्र का अक्ष और शिव का अश्रु पड़ा। रूद्राक्ष एक से लेकर 21 मुखी तक होते हैं जिनका संबंध अलग-अलग देवी देवताओं से होता ही है। लेकिन कम ही लोग ये बात जानते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने के नियम होते हैं। आप हर वक्त इसे पहन कर नहीं रख सकते हैं। कुछ कार्यों को करते समय रुद्राक्ष धारण करने की मनाही होती है।
इन कार्यों को करते समय भूलकर भी न पहनें रुद्राक्ष
— किसी भी शवयात्रा या श्मशान में रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। ऐसे किसी कार्य में शामिल होने से पहले रुद्राक्ष को उतार दें।
— जिस जगह किसी बच्चे का जन्म हुआ हो, उस जगह भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद इसे धारण किया जा सकता है।
— कहा जाता है कि सोते वक्त रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसके पीछे कारण बताया जाता है कि इस समय शरीर सुस्त और अशुद्ध रहता है।
— अगर किसी व्यक्ति ने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है, तो उसे मांस और मदिरा से दूर रहना चाहिए।
— शास्त्रों के मुताबिक, शारीरिक संबंध बनाते समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसके पीछे कारण बताया जाता है कि इस समय शरीर अशुद्ध होता है।
— महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसके पीछे भी यही कारण बताया जाता है कि इस समय शरीर अशुद्ध होता है।