नई दिल्ली। मंदिरों का देश कहे जाने वाले भारत में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा होती है। इन सभी देवी-देवताओं को समर्पित देश में कई मंदिर स्थित हैं, जो ऐतिहासिक वास्तुकला का अद्भुत नमूना हैं। इनमें से कई मंदिर चमत्कारिक भी हैं। कुछ मंदिरों में ऐसे-ऐसे चमत्कार देखने को मिलते हैं कि उन पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। इसी सप्ताह 31 अगस्त को सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर आज हम आपको एक ऐसे अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा। चित्तूर में विघ्नहर्ता का कनिपक्कम गणपति मंदिर (Kanipakkam Ganapathi Temple) अपनी ऐसी ही एक विशेष बात के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। तो ऐसी कौन-सी बात है, जो इस मंदिर को खास बनाती है आइए जानते हैं…
इस मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा के विषय में कहा जाता है कि इसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि, ये यहां के स्थानीय लोगों द्वारा किया गया मात्र एक दावा है। उनके अनुसार, श्रीगणेश की मूर्ति का पेट और घुटना धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ा रहा है। इसके अलावा, ये भी मान्यता है कि श्री लक्ष्माम्मा नामक एक भक्त ने भगवान गणेश के लिए एक कवच भी भेंट किया था। आकार बढ़ने के कारण अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया है।
मंदिर स्थापना की पौराणिक कथा
इस मंदिर के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार, किसी समय में इस स्थान पर तीन भाई रहा करते थे, जिनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। एक बार की बात है तीनों मिलकर एक कुआं खोद रहे थे कि तभी उन्हें एक पत्थर दिखाई पड़ा।
पत्थर को हटाने पर वहां से खून की धारा फूट पड़ी और देखते ही देखते पूरे कुएं का पानी लाल हो गया। इतना होते ही तीनों भाइयों की विकलांगता दूर हो गई। इस चमत्कार को देखने के लिए बहुत सारे लोग वहां एकत्रित हो गए। कुएं की खुदाई के दौरान निकले पत्थर को ध्यान से देखने पर पता चला कि वो श्रीगणेश की प्रतिमा है। इसके बाद विधि-विधान पूर्वक उसी स्थान पर उसे स्थापित कर दिया गया और साल 1336 में विजयनगर साम्राज्य में मंदिर का विस्तार कर दिया गया। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस स्थान पर आकर पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा करता है, उसके सभी पाप कट जाते हैं। इसके बाद मंदिर के पास स्थित नदी में स्नान कर संकल्प लेना होता है कि वो फिर कभी कोई पाप नहीं करेगा।