नई दिल्ली। श्राद्ध 25 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं। इनके समाप्त होते ही अगले दिन यानी 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो जाएगा, जो 4 अक्टूबर तक चलेगा। सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन यानी प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना या घटस्थापना करने का नियम है। तो आइए आपको घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और इसकी स्थापना की पूरी विधि के बारे बताते हैं…
शुभ-मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि का मुहूर्त-
प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह 03:23 बजे से प्रारंभ होकर 27 सितंबर के दिन 03 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
घटस्थापना का शुभ- मुहूर्त
आश्विन घटस्थापना- सोमवार, 26 सितम्बर
घटस्थापना का शुभ-मुहूर्त- सुबह 06:11 से 07:51 सुबह तक
घटस्थापना की अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:48 से दोपहर 12:36 तक
कलश स्थापना की विधि-
1. उत्तर-पूर्व दिशा की ओर पूजा के स्थान को स्वच्छ कर लें।
2.अब यहां एक साफ चौकी स्थापित करें।
3.इस चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे स्वच्छ कर लें।
4.अब चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर उस पर कलश स्थापित कर दें।
5.अब कलश में जल या गंगाजल भर दें।
6.इसके बाद में कलश में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ डालें।
7.इसमें आम के पत्ते डालें।
8.अब कलश के मुख पर एक नारियल रखें।
9.चौकी पर चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
10.माता को लाल या गुलाबी रंग की चुनरी ओढ़ा दें।
11.कलश स्थापना के साथ-साथ अखंड दीपक की भी स्थापना करें।
12.घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करें।
13.हाथ में लाल फूल और अक्षत लेकर माता का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।
14.इसके बाद फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें।
15.ध्यान रहे, मां शैलपुत्री के लिए बना भोग गाय के घी से बना होना चाहिए।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।