नई दिल्ली। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2023) का पर्व मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले इस पर्व की धूम खासतौर पर ब्रज में देखने को मिलती है। भक्तों में इस दिन खासा उत्साह देखा जाता है। फुलेरा दूज (Phulera Dooj) के दिन भगवान कृष्ण और राधा जी की पूजा तो की जाती है ही साथ ही उन पर फूलों की बरसात की जाती है। ब्रज में और जितने भी राधा-कृष्ण मंदिर होते हैं वहां आज के दिन भगवान को आज तरह-तरह के फूलों से उन्हें सजाया जाता है, उनपर फूल बरसाए जाते हैं। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले फुलेरा दूज पर्व को काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन शादी-सगाई जैसे शुभ काम भी किए जाते हैं। कहते हैं इस दिन विवाह करने वाला जोड़ा हमेशा खुश रहता है। इसके अलावा इस दिन उन विवाहित जोड़ों को भी श्री राधा कृष्ण की पूजा करनी चाहिए जिनका वैवाहिक जीवन कलेश से भर गया है। इस दिन की गई पूजा-पाठ से व्यक्ति के जीवन में प्यार का नया संचार होता है।
शुभ मुहूर्त में पूजा करने से मिलता है लाभ (Phulera Dooj 2023 Shubh Muhurat)
श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक फुलेरा दूज का पर्व आज मंगलवार, 20 फरवरी 2023 को मनाया जा रहा है। इस पर्व पर गोधूलि मुहूर्त का खास महत्व होता है। कहते हैं इस मुहूर्त में की गई पूजा से व्यक्ति को खास कृपा मिलती है। इस साल 2023 में गोधूलि मुहूर्त 21 फरवरी को शाम 06 बजकर 13 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
इस तरह से करें फुलेरा दूज पर पूजा (Phulera Dooj 2023 Puja Vidhi)
- फुलेरा दूज पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है ऐसे में किसी मंदिर में जाएं या फिर घर में ही राधा-कृष्ण की प्रतिमा (मूर्तियों) को सजाएं।
- श्री कृष्ण और राधा रानी को नए वस्त्र पहनाएं और कृष्ण की कमर में एक रंगीन वस्त्र को बांध दें जिससे लगे कि वो होली खेलने के लिए तैयार हैं।
- अब श्रीकृष्ण और राधा रानी को अलग-अलग रंगों के फूल चढ़ाएं।
- श्रीकृष्ण पर पीला चंदन और राधा रानी पर थोड़ा सिंदूर लगाकर उनका सोलह श्रृंगार भी करें।
- अब उन्हें माखन-मिश्री और बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं।
- घी का दीया जलाकर उनकी आरती उतारे और विधि-विधान के साथ पूजा करें।
- जो लोग व्रत कर रहे हैं वो शाम को राधा-कृष्ण की पूजा के बाद भगवान को भोग लगाएं और इसके बाद कृष्ण जी की कमर पर बांधा कपड़ा भी हटा दें। अब आप व्रत खोल सकते हैं।