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Radha Ashtami 2021: राधाष्टमी के दिन इस तरह करें राधारानी की पूजा, पूरी होंगी सभी मनोकामना

Radha Ashtami 2021:हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि के दिन राधा जी का जन्मोत्सव मनाए जाने का विधान है। यही कारण है कि इस दिन को राधाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि के दिन राधा जी का जन्मोत्सव मनाए जाने का विधान है। यही कारण है कि इस दिन को राधाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। यह तो सभी जानते हैं कि राधा जी की पूजा किए बिना कृष्ण पूजा अधूरी है। मान्यता यह भी है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत और पूजन का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए राधाष्टमी के दिन व्रत जरूर करना चाहिए। राधा जी स्वयं लक्ष्मी का रूप हैं। राधाष्टमी के दिन व्रत और पूजन करन से भक्तों के सभी कष्ट और दरिद्रता दूर हो जाती है। इसके  साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि राधाष्टमी पर व्रत और पूजन का विधान क्या है।

इस तरह करें राधाष्टमी का व्रत और पूजा

राधाष्टमी के दिन सुबह के समय उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो कर एक मंडल या मंडप बनाए। इस मंड़प के बीच में एक मिट्टी या तांबे के कलश पर एक पात्र रखें। पात्र में राधा जी की या राधा कृष्ण की संयुक्त मूर्ति की स्थापना करें।साथ ही सबसे पहले राधा जी को धूप,दीप, नैवेद्य अर्पित करें। इसेक बाद उनका षोडसोपचार विधि से राधा रानी का पूजन करें। राधा जी को नये वस्त्र आदि अर्पित कर, व्रत का संकल्प लें। राधाष्टमी के दिन फलाहार का व्रत रखा जाता है, कुछ लोग रात्रि को राधा जी को भोग लगाने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं। जबकि कुछ लोग नवमी की तिथि पर अगले दिन स्नान दान के बाद व्रत का पारण करते हैं।

radha krishna

पूजा की सामग्री

राधाष्टमी का व्रत अखंड़ सौभाग्य और जीवन के सभी दुख दूर करने के लिए रखा जाता है। कहते हैं कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से ही कृष्ण पूजन का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। राधाष्टमी के पूजन के लिए तांबे के कलश और पात्र के अलावा धूप,दीप, रोली,अक्षत, नैवेद्य और वस्त्र चाहिए। इसके अलावा इस दिन राधा जी को श्रृगांर का सामान अर्पित करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति की जाती है।