
नई दिल्ली। हिन्दू धर्म के कैलेण्डर के अनुसार, साल के प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है, जिसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पहली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि, जो ‘संकष्टी चतुर्थी’ और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, जो ‘विनायक चतुर्थी’ के नाम से जानी जाती है। इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश को याद करते हुए व्रत रखने से सुख, शांति और समृद्धि आती है और सभी परेशानियों का नाश होता है। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। तो आइये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहुर्त और पूजा- विधि क्या है?
तिथि और शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 16 जुलाई, शनिवार को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट से हो रही है, जो 17 जुलाई , रविवार को सुबह 10 बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। हालांकि, उदया तिथि के आधार पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा।
पूजा-विधि
1. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नानादि करने के बाद पूजा स्थान को गंगाजल छिड़ककर स्वच्छ कर लें। इसके बाद भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीपक जलाएं।
2.अब सिंदूर से विघ्नहर्ता का तिलक करके, उन्हें पुष्प अर्पित चढ़ाएं। गणेश जी को प्रिय दूर्वा घास की 21 गांठें अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी को मोतीचूर-बेसन के लड्डू, मिठाई या मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान की आरती करें और भूल-चूक की क्षमा मांगते हुए प्रणाम करें।
3.पूरे दिन फलाहारी व्रत रखने के बाद अगले दिन भी पूरे विधि-विधान से भगवान की पूजा करें और उसके बाद प्रसाद खाकर संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण कर लें।
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