नई दिल्ली। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती (Saraswati Puja 2021) की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है। इस साल बसंत पंचमी 15 फरवरी को पड़ रही है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, अगर किसी की कुंडली में विद्या बुद्धि का योग नहीं है या फिर पढ़ाई और शिक्षा में बाधा आ रही हो तो इस दिन मां शारदा की पूजा करनी चाहिए। सरस्वती पूजन के बाद सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा और बाद में रति और कामदेव की पूजा करने से भी विशेष फल मिलता है।
इस दिन भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाता है। प्रातः काल तैलाभ्यंग स्नान करके पीत वस्त्र धारण कर, विष्णु भगवान का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए तदुपरान्त पितृतर्पण तथा ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस दिन सभी विष्णु मंदिरों में भगवान का वस्त्रों तथा पुष्पों से श्रंगार किया जाता है।
पहले गणेश सूर्य विष्णु शिव आदि देवताओं का पूजन करके सरस्वती देवी का पूजन करना चाहिए। सरस्वती पूजन करने के लिए एक दिन पूर्व संयम नियम से रहना चाहिए तथा दूसरे दिन स्नान कर कलश स्थापित करना चाहिए। फिर पूजा-पाठ करना चाहिए।
इस दिन माता सरस्वती की पूजी करने के लिए इस साल कुल 5 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा। इस शुभ मुहुर्त के अंतर्गत ही मां शारदे की पूजा करनी चाहिए। 16 फरवरी को सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच सरस्वती पूजा का मुहूर्त बन रहा है।